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उत्तराखंड में इंदिरा हृदेश के निधन पर एक दिन का राजकीय शोक घोषित

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन पर एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। अंतिम संस्कार पुलिस सम्मान के साथ किया जाएगा। 14 जून को प्रदेश सरकार के कार्यालय बंद रहेंगे और झंडे झुकाए जाएंगे। आदेश पत्र में कहा गया है कि एक दिन राज्यकीय शोक के तहत प्रदेश के सभी कार्यालय बंद रहेंगे। जिस दिन जिले में अंत्येष्ठि होगा उस दिन प्रदेश सरकार के कार्यालय बंद रहेंगे और जिले में झंडा झुकाए जाएंगे। सोमवार को  राजकीय सम्मान के साथ नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश का अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी सोमवार सुबह दिल्ली से हल्द्वानी पहुंचकर श्रद्धांजलि देंगे।

उत्तराखंड की राजनीति में आयरन लेडी के नाम से चर्चित कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश के निधन की सूचना से समूचा शहर शोक में डूब गया। 7 अप्रैल 1941 को जन्मीं इंदिरा हृदयेश ने रविवार सुबह दिल्ली में अंतिम सांस ली। ब्रेन हेमरेज ने उन्हें लोगों से हमेशा के लिए जुदा कर दिया। इंदिरा ह्रदयेश के आकस्मिक निधन से उत्तराखंड कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। वह दिल्ली में कांग्रेस संगठन की बैठक में शामिल होने गई थीं। उनके बेटे सुमित हृदयेश दिल्ली में  उनके साथ थे। उत्तराखंड की कद्दावर और गरीबों के दिल की धड़कन कही जाने वालीं इंदिरा ने कभी भी किसी गरीब को निराश नहीं किया। हल्द्वानी में रहने वालीं इंदिरा ने हल्द्वानी के विकास के लिए बहुत काम किया है। उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड की राजनीति में इंदिरा ह्रदयेश का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

उत्तराखंड में कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की दशा सुधारने में सबसे बड़ा हाथ इंदिरा हृदयेश का है। चार बार एमएलसी और चार बार विधायक रह चुकीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश को लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है। पहली बार 1974 से 1980 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य रहने के बाद इंदिरा ह्रदयेश दूसरी बार 1986 से 1992 तक उत्तर प्रदेश में एमएलसी बनीं। इसके बाद 1992 से 1998 तक तीसरी बार एमएलसी रहीं। चौथी बार 1998 से 2000 तक एमएलसी रहने के बाद उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग हो गया। इसके बाद वह उत्तराखंड सरकार में लीडर आफ अपोजिशन के पद पर रहीं। उत्तराखंड में पहले विधानसभा चुनाव के बाद 2002 से 2007 तक वह कैबिनेट मंत्री रहीं। संसदीय कार्य व कई महत्वपूर्ण विभाग उनके पास रहे। 2012 से 2017 तक वह हल्द्वानी से विधायक चुनी गईं। इस बार भी वह काबीना मंत्री रहीं। 2017 में चुनाव जीतने के बाद वह नेता प्रतिपक्ष चुनी गईं। उत्तर प्रदेश की राजनीति से शुरू उनका यह सफर उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष के रूप में खत्म हो गया। उनकी पार्थिव देह को दिल्ली से हल्द्वानी लाया जा रहा है।

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Author: nirbhiknazar

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