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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पद से दिया इस्तीफा, पिछले हफ्ते ही रावत बोले थे : “पंजाब कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है”

चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पंजाब कांग्रेस में चल रही कलह के बीच शनिवार को पंजाब के विधायकों की मीटिंग बुलाई गई थी। इससे पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने समर्थक विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक की। इसके बाद राजभवन पहुंचे और अपना त्यागपत्र सौंप दिया। वहीं सूत्रों के अनुसार, वे पार्टी को भी जल्द ही अलविदा कह सकते हैं।

कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी प्रधान बनाने के बाद हाईकमान से नाराज चल रहे थे । उन्होंने हाईकमान को भी नाराजगी बताई थी। इसके बावजूद उनकी बात नहीं सुनी गई। कैप्टन ने कहा कि सिद्धू उन पर लगाए आरोपों पर माफी मांगें, लेकिन इस पर भी बात नहीं बनी। इसके बाद पंजाब में सरकार और संगठन के तालमेल के बजाय आपसी मुकाबला शुरू हो गया। कैप्टन भी इसको लेकर अड़े रहे।

कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों में जारी तनातनी के बीच आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। सूत्रों के हवाले से ये खबर भी है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोनिया गांधी से साफ कर दिया है कि इस तरह के अपमान के साथ कांग्रेस में बने रहना संभव नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि कैप्टन कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ सकते हैं। और वो बीजेपी का दमन थम सकते हैं।

पंजाब के घटनाक्रम पर बीजेपी का हमला

वहीं, पंजाब में जारी सियासी घटनाक्रम पर बीजेपी लगातार कांग्रेस पर हमला बोल रही है. हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है कि जहाज जब डूबने वाला होता है तो हिचकोले खाने लगता है. उन्होंने अंबाला में कहा कि पंजाब कांग्रेस उसी प्रकार ने हिचकोले खा रही है. इसी वजह से इनका आपसी टकराव हो रहा है.

क्या कहा था रावत ने?

याद दिला दें कि पिछले हफ़्ते राज्य में पार्टी के प्रभारी हरीश रावत ने कहा था कि पंजाब कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। रावत के बयान का यह भी मतलब था कि इतने महीनों से राज्य के सियासी क्षत्रपों के बीच चल रहे घमासान को ख़त्म करने की जो कवायद हाईकमान कर रहा है, उसका नतीजा अब तक सिफर ही रहा है।

बीते कुछ दिनों में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ पार्टी के नेताओं ने फिर से मोर्चा खोल दिया था और इसी बीच प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों के बयानों ने भी पार्टी को मुश्किल में डाल दिया था।इसके बाद सिद्धू का बयान आया था कि अगर उन्हें फ़ैसले लेने की छूट नहीं दी गई तो वह ईंट से ईंट बजा देंगे।

रावत ने इसके बाद कहा था कि अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू को मिलकर काम करना ही होगा और इसी में दोनों का फ़ायदा है। उन्होंने कहा था कि ऐसा न करने से सबसे ज़्यादा नुक़सान उन्हीं लोगों को होगा, जो सबसे ताक़तवर पदों पर बैठे हैं।

 

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Author: nirbhiknazar

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