न्यूज़ डेस्क: क्या आप सोच सकते हैं कि कोई वैज्ञानिक अपनी रिसर्च के लिए अपनी जान भी गंवा सकता है. अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको एक ऐसी ही सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहे हैं. जो एक वैज्ञानिक की है. जिसमें उसने अपनी रिसर्च के लिए जान गंवा दी. ये कहानी है वैज्ञानिक कार्ल पैटरसन शिमिट की. जिन्होंने सांप के जहर से होने वाली मौतों के अध्ययन के लिए अपनी जान गंवा दी. शिमिट जानना चाहते थे कि सांप के काटने के बाद इंसान को कैसा महसूस होता है और उसका जहर इंसान के शरीर में कैसे फैलता है
इसी के लिए कार्ल पैटरसन शिमिट अपनी जान पर खेल गए. बात साल 1957 के सितंबर महीने की है. अमरीका के शिकागो प्रांत के लिंकन पार्क चिड़ियाघर में काम करने वाले एक शख्स को एक अजीबोगरीब सांप मिला. इस सांप की लंबाई 76 सेंटीमीटर थी. इस सांप की प्रजाति जानने के लिए वो उसे शिकागो के नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम ले गया. वहां उसकी मुलाकात मशहूर वैज्ञानिक कार्ल पैटरसन शिमिट से हुई.
शिमिट को सरीसृप विज्ञान का एक बड़ा जानकार माना जाता था. शिमिट ने देखा कि इस सांप के शरीर पर बहुरंगी आकृतियां हैं. वह सांप की प्रजाति का पता लगाने को तैयार हो गए. इसके बाद 25 सितंबर को उन्होंने इसकी पड़ताल शुरु की. इस दौरान उन्होंने पाया कि ये अफ्रीकी देशों में पाया जाने वाला एक सांप है. इस सांप का सिर बूमस्लैंग सांपों जैसा था जो कि सब-सहारन अफ्रीका के जंगलों में पाए जाते हैं. लेकिन शिमिट अपनी इस पड़ताल को लेकर आश्वस्त नहीं थे. अपने जर्नल में इस पड़ताल के बारे में लिखते हुए शिमिट बताते हैं कि उन्हें इस सांप के बूमस्लैंग होने पर शक है, क्योंकि इस सांप की एनल प्लेट बंटी हुई नहीं थीं. लेकिन इस शक को दूर करने के लिए शिमिट कुछ अलग करना चाहते थे. जिसके लिए उन्हें अपनी जान से हाथ गंवानी पड़ा.