देहरादून: राजपुर रोड विधानसभा मे बीजेपी प्रत्याशी खजानदास को अपार समर्थन मिल रहा है। और किसी भी विधायक को ये समर्थन तब मिलता है जब वो जनता के लिए काम करता है और अपने कार्यकाल मे जनता की बात सुनकर उनकी दुख तकलीफ़ों को दूर करता है। ऐसा भी नहीं है की खजानदास इस बात से आश्वस्त हों की वो विधायक हैं तो उन्हे मेहनत नहीं करनी है बल्कि ठीक इसके उलट खजानदास दिन निकलते ही जनता से मिलने और उनसे वोट देने के लिए आग्रह करने घर से निकलते हैं और देर रात जनता मिलन से वापिस होते हैं। खजान्दास को अपनी विधानसभा क्षेत्र राजपुर रोड मे जनता का अपार समर्थन मिल रहा है और ये समर्थन दर्शाता है की खजानदास ने अपने कार्यकाल मे जनता के लिए जो काम किया हैं उनसे काफी हद तक जनता खुश है। वहीं खजानदास का कहना है की ये मेरे द्वारा पिछले 5 साल मे किए गए काम का नतीजा है जो जनता का अपार समर्थन मुझे मिल रहा है।
उत्तराखंड मे एक तरफ जहां बीजेपी कांग्रेस दोनों ही पार्टियां दावेदारों के बागी होने से परेशान हैं राजपुर रोड विधानसभा सीट पर ऐसी स्थिति बिलकुल नहीं है बीजेपी का हर नेता और राजपुर रोड का कार्यकर्ता खजानदास के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रचार प्रसार मे लगा है । रोजपुर रोड से कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार मैदान मे हैं और उनका भी प्रचार प्रसार ज़ोरों पर है अब देखने वाली बात ये हैं की इस विधानसभा के लोग विधायक के द्वारा किए गए कार्यों को चुनते हैं या नहीं।
राजपुर रोड विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। यह सीट वर्ष 2008 में हुए परिसीमन से अस्तित्व में आई। इससे पहले यह सीट राजपुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ती थी और सामान्य श्रेणी में थी। उत्तर में बन्नू स्कूल से दक्षिण में दिलाराम बाजार तक फैली इस सीट के अंतर्गत घंटाघर, करनपुर, राजपुर रोड, दिलाराम बाजार, सहारनपुर रोड, प्रिंस चौक आदि क्षेत्र आते हैं। इस सीट का नंबर 20 है। इस बार बीजेपी ने यहाँ से खजानदास और कांग्रेस ने राजकुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है।
इसलिए है खास
इस विधानसभा क्षेत्र में कई वीआइपी इलाकों के साथ 17 से अधिक मलिन बस्तियां भी आती हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि कुल मतदाताओं में से करीब 55 प्रतिशत इन्हीं मलिन बस्तियों में निवास करते हैं। चुनाव में मतदाता के रूप में इसी वर्ग की सहभागिता सबसे ज्यादा देखी जाती है। इस लिहाज से इन मलिन बस्तियों के मतदाता ही प्रत्याशियों की जीत और हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
राजनीतिक इतिहास
इस सीट पर अब तक भाजपा और कांग्रेस में लड़ाई देखने को मिली है। परिसीमन से पहले वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में (तब राजपुर सीट) यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट जीते थे। अगले चुनाव (वर्ष 2007) में भाजपा के प्रत्याशी गणेश जोशी इस सीट से विधायक बने। परिसीमन के बाद वर्ष 2012 में कांग्रेस के राजकुमार और 2017 में भाजपा के खजानदास विधायक बने।
सामाजिक समीकरण
इस सीट पर करीब 59 प्रतिशत मतदाता अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। यही मतदाता चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं। बाकी के 41 प्रतिशत मतदाता ब्राह्मण, राजपूत व अन्य वर्ग के हैं। इस सीट पर मतदाता के रूप में व्यापारी वर्ग भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दफा यहां करीब 1,18,947 मतदाता तय करेंगे कि आगामी विधानसभा चुनाव में किसे सरताज बनाना है।