चमोली: बदरीनाथ धाम के दर्शन के लिए अनशन पर बैठे मोनी बाबा ने अब अन्न के साथ ही जल त्यागने का निर्णय लिया है। मोनी बाबा ने कहा कि यदि प्रशासन और देवस्थानम बोर्ड ने साधु-संतों को बदरीनाथ धाम के दर्शनों की अनुमति नहीं दी तो वे जल का त्याग कर देंगे, इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशास की होगी। बदरीनाथ धाम के दर्शन की मांग पर अड़े दो साधु धाम में अपने-अपने आश्रमों में 23 मई से आमरण अनशन पर बैठे हैं। आज सातवें दिन भी उनका अनशन जारी है। अपने आश्रम में अनशन कर रहे मोनी बाबा ने एक ऑडियो सार्वजनिक कर कहा कि यदि प्रशासन व देवस्थानम बोर्ड की ओर से साधु-संतों को बदरीनाथ धाम के दर्शनों की अनुमति नहीं दी, तो वे जल का त्याग भी कर देंगे।
उन्होंने कहा कि धाम में साधु संत गुरु परंपरा से बंधे हुए हैं। वे यहां सालभर तपस्या करते हैं। वे स्वयं नागा सन्यासी हैं और बदरीनाथ धाम में 30 सालों से तपस्यारत हैं। बदरीनाथ धाम के दर्शनों के बाद ही वे अन्न ग्रहण करते हैं। कोरोना गाइड लाइन के चलते यात्रा स्थगित है, लेकिन धाम में रह रहे साधुओं को दूर से ही भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने की अनुमति दी जाए। देवस्थानम बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन का कहना है कि अभी एसओपी के चलते देवस्थानम बोर्ड व हक-हकूकधारियों के अलावा किसी को भी बदरीनाथ धाम में जाने की अनुमति नहीं है। सभी साधु-संत मैदानी क्षेत्र से धाम में पहुंचे हैं, फिलहाल स्थानीय प्रशासन से साधुओं से वार्ता करने के लिए कहा गया है, उन्हें 14 दिन के क्वारंटीन में रहना जरूरी होगा, यदि जरूरी होगा तो बोर्ड से विशेष अनुमति ली जाएगी। यदि अनुमति मिल जाएगी तो क्वारंटीन के बाद साधुओं का आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाएगा। कोरोना रिपोर्ट निगेटिव मिलने के बाद ही आगे कुछ निर्णय लिया जाएगा।