देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अक्सर अपने बयानों की वजह से सोशल मीडिया में चर्चाओं में रहते हैं। एक बार फिर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक ऐसा बयान दिया है जो सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल शनिवार को उत्तरकाशी मैं कार्यक्रमों के शिलान्यास के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से लोगों को चीनी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पहली सरकार है जो लोगों को दुख आपदा और कष्ट में चीनी बांट रही है। उन्होंने ऐलान किया कि अगले 3 महीनों के लिए प्रत्येक परिवार को 2 किलो चीनी कंट्रोल रेट पर दी जाएगी। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद एक बार फिर से सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई है।
जब से देश आजाद हुआ है चीनी कभी नहीं मिली’
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘चीनी कभी नहीं मिली, जब से देश आजाद हुआ है। दुख, कष्ट और आपदा में भी नहीं।’ उन्होंने कहा कि हम खाद्यान्न के साथ तीन माह की चीनी भी दे रहे हैं। बोले, कल ही मैंने कैबिनेट में पास किया है। हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट किया कि आपदा में पहली बार चीनी को प्रभावितों को दी जाने वाली सामग्री में शामिल करते हुए पूरे प्रदेश को इसका लाभ दिया जा रहा है।
झूठा साबित हो गया मुख्यमंत्री का बयान
राष्ट्रीय खाद्य योजना के तहत सरकारी राशन की दुकानों में पहले हर परिवार को यूनिट के हिसाब से प्रति माह चीनी मिलती थी। लेकिन कुछ वर्ष पहले यह योजना बंद हो चुकी है। अब केवल अंत्योदय परिवारों को प्रति राशनकार्ड एक किलो चीनी मिलती है। वहीं यदि आपदा के समय मुफ्त चीनी वितरण करने की बात करें तो मुख्यमंत्री का ये बयान भी झूठा साबित हो गया। क्योंकि आपदा के समय भी मुफ्त चीनी वितरण की गई है।
2013 की आपदा में भी मुफ्त दी गई थी चीनी
आपको याद दिला दें कि साल 2013 की आपदा के दौरान प्रति परिवार को 15 किलो आटा, 15 किलो चावल, तीन किलो चीनी, दस लीटर मिट्टी का तेल, दाल, मसाले आदि सरकारी राशन की दुकानें के जरिये प्रभावितों को निशुल्क दिया गया था। तब आपदा प्रभावित उत्तरकाशी जिले में 986 कुंतल, चमोली में 728 कुंतल, रुद्रप्रयाग में 1090 कुंतल, बागेश्वर में 153 कुंतल, पिथौरागढ़ में 2182 कुंतल चीनी का निशुल्क आवंटन हुआ था।