उत्तरकाशी: वैश्विक कोरोना महामारी के दूसरी रहर उत्तरकाशी में मौत का तांडव देखने को मिला। इस तांडव के बीच जहां कई शवों को जलाने के लिए श्मशान घाटों पर लम्बी लाइनें लगी रही, वहीं कई स्थानों पर अपने ही अपनों का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए जिसके कारण एसडीआरएफ और पुलिस को शवों को जलाना पड़ा। गंगा घाटों पर हुए अंतिम संस्कारों को लेकर लोगों को उम्मीद थी कि ये पूरे विधि-विधान से होंगे, मगर इसके ठीक उलट तस्वीर उत्तरकाशी के केदार घाट से सामने आई है। जहां घाटों पर शवों को कुत्ते नोंच रहे हैं।
उत्तरकाशी के मुख्य मोक्ष घाट केदारघाट पर ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो कि मानवता को शर्मसार कर रही है। केदार घाट पर अधजले शवों को कुत्ते नोंच रहे हैं। जिसकी शिकायत स्थानीय लोग नगरपालिका और जिला प्रशासन से कर चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी इन अधजले शवों के अंगों के पूर्ण संस्कार के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था पालिका और प्रशासन की ओर से नहीं की गई है। बता दें कि इस साल कोविड से मरे लोगों का अंतिम संस्कार गंगा के किनारे केदार घाट पर किया गया था। जहां पर शवों का सही तरीके से अंतिम संस्कार न हो पाने के कारण अधजले शवों के अंग केदार घाट पर पड़े हैं। भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद कई अधजले शवों के अंग बह गए हैं। जो बह नहीं पाए उसे कुत्ते नोंच रहे हैं।
उत्तरकाशी मे जो तस्वीरे सामने आईं वो चिंता जनक हैं, उत्तरकाशी धार्मिक द्रष्टि से हिन्दू धर्म के लिए महत्वपूर्ण है यहाँ शवों को कुत्तों द्वारा नोचना प्रशासन पर कई सवाल खड़े करता है और नाकामी को दर्शाता है वहीं हिन्दुत्व का गुणगान करने वाली बीजेपी सरकार पर भी ये घटना कई सवाल खड़े करती है और सरकार द्वारा किए गए इंतेजामों की पोल खोलती है। एक तरफ तो सरकार अंतिम सरकार के लिए फ्री मे लकड़ी देने जैसे और किसी के अंतिम संस्कार मे कोई कोताही न बरती जाने के आदेश/ निर्देश देती है वहीं दूसरी तरफ ये तस्वीरें चीख चीख कर सरकार और प्रशासन की पोल खोलने के लिए काफी हैं।
जिला पंचायत प्रदेश संगठन अध्यक्ष प्रदीप भट्ट
नगरपालिका अध्यक्ष रमेश सेमवाल का कहना है शिकायत आने के बाद घाट पर रहने वाले एक बाबा को अंतिम संस्कार के बाद साफ/सफाई का जिम्मा सौंपा गया है।