रांची: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने कृषि पाठशाला योजना शुरू करने का निर्णय लिया है. अगले तीन वर्षों में 100 कृषि पाठशाला को धरातल पर उतारने की योजना है. इसके लिए पहले चरण में 17 बीज ग्राम का चयन किया जाएगा. वहीं किसानों के उत्पाद को बचाने के लिये छोटे-छोटे कोल्ड रूम बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है.
कृषि पाठशाला योजना का उद्देश्य कृषि को उद्योग और जीविका के साथ-साथ संस्कृति से जोड़ना है. कृषि विभाग की निदेशक निशा उरांव सिंहमार के अनुसार अगले तीन साल में 100 कृषि पाठशाला को धरातल पर उतारने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. पहले चरण में 17 कृषि पाठशाला का संचालन होगा. ये पाठशाला किसानों को आधुनिक पद्धति से खेती- बाड़ी की जानकारी देगी. पाठशाला के आस- पास तीन से चार बिरसा गांव स्थापित किये जायेंगे. वहीं किसानों के उत्पाद खासकर सब्जियों के रख- रखाव के लिये 5 से 10 MT का कोल्ड रूम तैयार किया जाएगा. कोल्ड रूम का संचालन सोलर पॉवर से होगा.
कृषि विभाग ने इस योजना का प्रारूप भी तैयार कर लिया है. हालांकि राज्य के मुख्य विपक्षी दल बीजेपी को राज्य सरकार की कथनी और करनी पर संदेह है. बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री अर्जुन सिंह ने कहा कि देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के विकास के लिये कई कदम बढ़ाए हैं. राज्य में पूर्व की रघुवर दास सरकार ने भी इसे आगे बढ़ाने के लिये कई योजनाओं की शुरुआत की थी. लेकिन राज्य की मौजूदा राज्य सरकार ने उन सभी योजनाओं को बंद कर दिया. अब जिस योजना की बात हो रही है अगर वो धरातल पर उतरती है तो उसका स्वागत है.
हर साल झारखंड के किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाता है. कोल्ड स्टोरेज या कोल्ड रूम नहीं होने से संब्जियां और फल बर्बाद हो जाते हैं. अब अगर राज्य सरकार ने किसानों के अंदर उम्मीद जगाई है, तो उन्हें थोड़ा इंतजार करना होगा. क्योंकि योजना बनाने से लेकर उसे धरातल पर उतरने में वक्त लगता है.