रांची: एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग विधेयक को लेकर झारखंड में जन जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान बच्चों के हित में काम करने वाले संगठनों की ओर से चलाया जाएगा। इसके तहत 30 जुलाई को ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर्सन डे मनाया जाएगा। इस दौरान स्कूलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग क्लब का गठन किया जाएगा। इसके साथ ही पंचायत स्तर पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ लोगों को जागरूक किया जाएगा।
इसके तहत छह से 14 वर्ष के बच्चे नियमित विद्यालय जाएं, गांव में बाल विवाह न हो, बाल श्रम करने को कोई बच्चा मजबूर न हो, 18 वर्ष से कम उम्र वाले काम करने बाहर न जाएं, इसको लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। साथ ही गांव के 15-18 वर्ष के सभी स्कूल-कॉलेज के बच्चों को व्यावसायिक गतिविधियों से जोड़ने का काम किया जाएगा। यह काम झारखंड सरकार के सहयोग से बाल कल्याण संघ के माध्यम से किया जाएगा। इस अभियान में प्रयास रहेगा कि 18 वर्ष से कम उम्र वाले असुरक्षित पलायन का शिकार न हों। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग क्लब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली के अधीन होगा। इसके अंतर्गत झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, बाल संरक्षण संस्थान, जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड सहित अन्य सरकारी इकाई भी कार्य करेगी।
50 फीसदी बच्चे मानव तस्करी के शिकार:
बीकेएस के आंकड़ों के अनुसार झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है। झारखंड राज्य मानव तस्करी के लिए एक सोर्स राज्य के रूप में जाना जाता है। राज्य में हर वर्ष करीब 30 हजार से 40 हजार बच्चे असुरक्षित पलायन करते हैं। इनमें से 50 फीसदी से अधिक बच्चे मानव तस्करी के शिकार हो जाते हैं। साथ ही 10 फीसद बच्चे लापता हो जाते हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार झारखंड की बच्चियों को 30 हजार से 1.5 लाख रुपये में घरेलू काम के लिए बेचा जाता है।