देहरादून: प्रदेश के तीनों ऊर्जा निगमों यूपीसीएल, पिटकुल और यूजेवीएनएल में अब प्रबंध निदेशक की कुर्सी पर आईएएस अफसर तैनात नहीं किए जाएंगे। इसकी कवायद शुरू हो गई है। सरकार जल्द ही इस पर फैसला ले सकती है। दरअसल, उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल), पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) में लंबे समय से आईएएस अधिकारी ही एमडी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में पहली बार ऊर्जा मंत्री बनने के बाद डॉ. हरक सिंह रावत ने इस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि एक तो आईएएस अधिकारी बिजली विभाग की बारीकियों को करीब से नहीं समझ सकते। ऐसे में वह किस तरह से किसी भी निगम की कार्यप्रणाली को बेहतर कर सकते हैं। दूसरी बात यह है कि इन निगमों में ताउम्र सेवाएं देने वाले लोग एक निश्चित स्थान तक आकर रुक जाते हैं। उन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया जाना चाहिए। लिहाजा, ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने यह मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने उठाया है। अब मुख्यमंत्री को इस पर फैसला लेना है।
सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल यूपीसीएल और पिटकुल के एमडी की जिम्मेदारी भी सरकार वहीं के वरिष्ठ अधिकारियों को देने की तैयारी में है। इस पर अगले दो से तीन दिन में फैसला होने की उम्मीद है। वहीं, उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) में पहले से ही निगम के ही अधिकारी संदीप सिंघल बतौर एमडी सेवाएं दे रहे हैं। सरकार कर्मचारियों की हड़ताल की चेतावनी को लेकर भी सतर्क है। वहीं, ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि जल्द ही निगम में कई अहम फैसले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि एमडी के चयन की प्रक्रिया गतिमान है, जो एक माह के भीतर पूर्ण कर ली जाएगी।
छह दिनों से खाली पड़ी यूपीसीएल-पिटकुल के एमडी की कुर्सी
प्रदेश के दो बड़े ऊर्जा निगम पिछले छह दिन से बिना एमडी के चल रहे हैं। रोजाना निगमों में एमडी के आने का इंतजार किया जाता है, लेकिन शनिवार तक भी कोई नहीं आया। दूसरी ओर, तीनों निगमों के कर्मचारी हड़ताल पर अडिग हैं। ऐसे में वार्ता न होने की सूरत में हालात बिगड़ सकते हैं।
दरअसल, सरकार ने 19 जुलाई को हरिद्वार के कुंभ मेला अधिकारी आईएएस दीपक रावत को यूपीसीएल और पिटकुल के एमडी की जिम्मेदारी दी थी। उनका आदेश जारी होने के अगले दिन सभी कर्मचारी उनके आने का इंतजार करते नजर आए, लेकिन वह नहीं आए। उसके बाद से रोजाना उनके मातहत आने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन वह नहीं आते। अंदरखाने उनके ज्वाइन न करने के पीछे कई तरह की चर्चाएं हैं।
चर्चा यह भी है कि दीपक रावत इस पद पर ज्वाइन नहीं करना चाहते, जिसके लिए वह सरकार के स्तर तक अपनी बात रख चुके हैं। अब वह आएंगे या नहीं, लेकिन यूपीसीएल और पिटकुल जैसे महत्वपूर्ण निगम पिछले छह दिन से बिना सरताज चल रहे हैं। दूसरी ओर, निगमों के कर्मचारी चरणबद्ध आंदोलन चला रहे हैं, जिसके तहत 27 जुलाई की पहली पाली से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अड़िग हैं। अगर कोई एमडी नहीं होगा तो कर्मचारियों की समस्याओं को सुनने या हड़ताल के हालात से निपटने की चुनौती सरकार के सामने सीधे तौर पर होगी। शनिवार को भी दीपक रावत ज्वाइन करने नहीं आए।
तीनों निगमों में नई अध्यक्ष राधा रतूड़ी भी नहीं पहुंची
केवल दो निगमों के एमडी ही नहीं बल्कि पिछले करीब 10 दिन से तीनों निगमों में अध्यक्ष की कुर्सी भी खाली पड़ी हुई है। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को सरकार ने यह जिम्मेदारी सौंपी जरूर लेकिन वह ज्वाइन करने नहीं पहुंची। दरअसल, 14 जुलाई को सरकार ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को कार्मिक विभाग और सतर्कता विभाग से मुक्त करते हुए यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और पिटकुल के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। वह अब तक ज्वाइन करने नहीं पहुंची हैं। लिहाजा, तीनों निगमों में अध्यक्ष की कुर्सी भी खाली पड़ी हुई है।
दूसरी ओर, यह भी चर्चा है कि इस मामले में वरिष्ठता और कनिष्ठता का मुद्दा भी खड़ा हो रहा है। दरअसल, राधा रतूड़ी अपर मुख्य सचिव हैं जबकि ऊर्जा विभाग की सचिव सौजन्या उनकी जूनियर हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि सरकार उनके ज्वाइन न करने को किस तरह से लेगी। या फिर वह ज्वाइन करेंगी। फिलहाल कर्मचारियों की हड़ताल के मद्देनजर निश्चित तौर पर तीनों निगमों को अध्यक्ष की भी जरूरत है।