देहरादून: सरकार ने उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) भजन सिंह पर शिकंजा कसा है। पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने सिंह पर लगे अनियमितता के आरोपों की विजिलेंस जांच की संस्तुति कर दी है। अब जल्द ही शासन इसके आदेश जारी करेगा। इससे पहले शासन ने भी निगम के पूर्व एमडी के खिलाफ जांच कराई थी। जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में प्रकरण को तकनीकी करार देते हुए विजिलेंस जांच की सिफारिश की थी।
करीब 10 वर्ष तक पेयजल निगम के एमडी रहे भजन सिंह अपने सेवाकाल के दौरान लगातार विवादों में रहे। उन पर निगम में नियुक्ति से लेकर निर्माण और विभागीय कार्यों में गड़बड़झाले के आरोप हैं। पूर्व में मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय के आनलाइन ग्रीवांस में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज हुई थी। शासन ने पिछले साल जुलाई में इस प्रकरण की जांच आइएएस नीरज खैरवाल को सौंपी। इस बीच 30 सितंबर को एमडी भजन सिंह की सेवानिवृत्ति से पहले उन्हें इस पद से हटाकर पेयजल सलाहकार बनाया गया था।
पूर्व एमडी सिंह के खिलाफ लगे आरोपों के संबंध में करीब ढाई माह पहले जांच अधिकारी नीरज खैरवाल ने शासन को रिपोर्ट सौंपी। इसमें नमामि गंगे के साथ तमाम योजनाओं में गड़बड़ी की बात तो स्वीकार की गई, लेकिन प्रकरण को तकनीकी करार देते हुए इसकी विजिलेंस जांच कराने की सिफारिश की गई है। इसे देखते हुए शासन ने फाइल अनुमोदन के लिए विभागीय मंत्री बिशन सिंह चुफाल को भेजी। पेयजल मंत्री चुफाल के अनुसार उन्होंने निगम के पूर्व एमडी के खिलाफ विजिलेंस जांच की संस्तुति कर दी है। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद शासन की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विजिलेंस जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
लेकिन सवाल ये उठता है की घोटाले की आंच मे सिर्फ भजन सिंह ही क्यों झुलसें उनके अधीनस्थों पर भी कार्यवाई होनी चाहिए जिनके बिना भजन सिंह इतने बड़े कारनामे को अंजाम नहीं दे सकते। तो सिर्फ क़ुसूरवार भजन सिंह ही नहीं वो पूरा कुनबा होना चाहिए जिसने भजन सिंह का साथ देकर इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया। जांच के बाद भजन सिंह के साथ साथ उनके हाथों मे भी हथकड़ी की रस्सी टांग देनी चाहिए।