चमोली: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत व सुबोध उनियाल के साथ केदारनाथ में बाबा केदार के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 नवंबर के भ्रमण कार्यक्रम की तैयारियों का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों से बातचीत की। मुख्यमंत्री ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थपुरोहित व हक-हकूकधारियों से एक घंटे से अधिक समय तक वार्ता भी की। उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को लेकर 30 नवंबर तक उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
हरक और सुबोध के साथ केदारनाथ पहुंचे मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री धामी बुधवार को कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल के साथ केदारनाथ धाम पहुंचे। पंडा पुरोहित समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री व दोनों मंत्रियों का स्वागत किया। बाबा केदार के दर्शन के बाद मुख्यमंत्री ने करीब एक घंटे तक केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, वरिष्ठ तीर्थपुरोहित उमेश चंद्र पोस्ती, लक्ष्मी नारायण जुगराण समेत अन्य तीर्थपुरोहितों के साथ वार्ता की।
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सुझाव देने को कहा, 30 नवंबर तक फैसला
बंद कमरे में हुई वार्ता में मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया सरकार तीर्थ पुरोहितों व पंडा समाज के लोगों की भावना की कोई ठेस नहीं पहुंचाएगी। उन्होंने 30 नवंबर से पहले बड़ा फैसला लेने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि हम सकारात्मक, धनात्मक और विकासात्मक दृष्टिकोण से चारधाम, पंडा, पुरोहित और पुजारी समाज के सम्मान तथा धार्मिक आस्था की गरिमा के सम्मान के लिए तत्पर हैं।
तीर्थ पुरोहितों से सुझाव मांगें
सूत्रों के मुताबिक, वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। उन्होंने तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज के लोगों व पुजारियों से सुझाव देने को कहा। उन्होंने बताया कि सरकार बहुत जल्द इन सुझावों पर प्रस्ताव तैयार कर उसे कैबिनेट बैठक में लाएगी और निर्णय लेगी।
क्या कर सकती है सरकार
प्रदेश सरकार के पास देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर दो प्रमुख विकल्प है। पहला वह बोर्ड को भंग करने के लिए उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को निरस्त करने के लिए विधानसभा में निरसन विधेयक लाए। सरकार ने 29 व 30 नवंबर को गैरसैंण में विधानसभा सत्र बुलाया है। साथ ही देवस्थानम बोर्ड पर 30 नवंबर से पहले बड़ा फैसला लेने की बात कही है। सरकार के पास दूसरा विकल्प तीर्थ पुरोहित व पंडा समाज के लोगों के हितों को और अधिक सुरक्षित बनाते हुए देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का नया स्वरूप त कर सकती है। अधिनियम का एक ऐसा छाता तैयार करने के विकल्प की भी चर्चा है,जिसके नीचे बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति व चारधाम विकास परिषद के वजूद को लौटाया जा सके।
पंडा पुरोहित समाज से बहुत सौहार्दपूर्ण माहौल में वार्ता हुई। मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार किसी के हितों की अनदेखी नहीं करेगी। सरकार पंडा पुरोहित व पुजारी समाज के सम्मान के लिए तत्पर है।
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
बहुत सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत हुई। उनको आश्वस्त किया कि सरकार के किसी के हितों की विरोधी नहीं है। हर हाल में 30 नवंबर से पहले समस्या का समाधान कर लेंगे।
– सुबोध उनियाल, शासकीय प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री
‘बोर्ड का विरोध, पीएम का होना चाहिए स्वागत’
बदरीनाथ धाम से जुड़ी बदरीश पंडा पंचायत, ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड का विरोध जारी रहेगा, लेकिन केदारनाथ पहुंच रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध नहीं होना चाहिए। सनातन धर्म की परंपरा में अतिथि का सत्कार होता है। यदि प्रधानमंत्री मोदी बदरीनाथ भी आए तो उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। बदरीश पंडा पंचायत के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी ने कहा कि केदारनाथ दौरे पर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध नहीं होना चाहिए। अतिथि का सत्कार भव्य तरीके से होना चाहिए। लेकिन देवस्थानम बोर्ड का किसी भी सूरत में समर्थन नहीं किया जाएगा। इससे वर्षों पुरानी धार्मिक परंपराएं गड़बड़ा रही हैं। प्रधानमंत्री के संज्ञान में भी यह बात जरूर आनी चाहिए।
बदरीनाथ ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित संघ के अध्यक्ष उमानंद सती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे को लेकर विरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन उन्हें देवस्थानम बोर्ड का संज्ञान लेकर शीघ्र इसे भंग करने के निर्देश देने चाहिए। हमारा मुख्य उद्देश्य बोर्ड को भंग करने से है न कि किसी व्यक्ति विशेष का विरोध करना। उन्होंने कहा कि सभी हिंदूवादी संगठन चार धामों को बोर्ड से मुक्त करने की बात कर रहे हैं, लिहाजा प्रधानमंत्री को भी देवस्थानम बोर्ड को भंग कर देना चाहिए।