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गोद सूनी हो तो मनाइये छठ, खाइये खरना का प्रसाद, जानिये क्या है छठ पूजा की परंपरा और खरना का महत्व ?   

न्यूज़ डेस्क: एक ऐसा पर्व जिसमें जिस ईश्वर की अराधना की जाती है वो साक्षात भक्त के सामने होते हैं। इस व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है। चार दिन चलने वाले इस व्रत को महाव्रत और महापर्व कहा जाता है। यह व्रत किसी कठिन तपस्या से कम नहीं है। इस व्रत का चार दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। प्रत्येक दिन का अपना अलग ही महत्व है। किसी भी पूजा से पहले नहाना सबसे अहम होता है। नहाधोकर ही पूजा की तैयारियां शुरू की जाती हैं। बिहार, झाारखंड और पूर्वी उत्तरप्रदेश में मनाया जाने वाले छठ महापर्व की शुरूआत भी नहाय खाय से होती है। यानि पहले स्नान कर शुद्ध होने के बाद व्रत शुरू किया जाता है।

सभा से जुडे  रहेस्थानीय लोग।

बिहार उत्तरप्रदेश के इस महापर्व का असर उत्तराखंड में भी दिखने लगा है। राज्य के स्थानीय लोग ना सिर्फ सभा से जुड रहे हैं बल्कि योगदान भी कर रहे हैं। कुछ परिवार तो छठ पूजा भी कर रहे हैं। इससे इस महापर्व की आस्था लोगों के बीच में बढ़ रही है। लोक आस्था का चार दिन का महापर्व सोमवार से शुरू हो रहा है । व्रती सुबह स्नान करने के बाद चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण किये।

मंगलवार को खरना होगा। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास के बाद शाम को पूजा-अर्चना के बाद खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे।

बुधवार को 24 घंटे उपवास के बाद शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद यह महापर्व समाप्त हो जाएगा है।

पहला प्रसाद है चावल, दाल और कद्दू की सब्जी

गोधन के बाद से ही छठ की तैयारी में हर कोई जुट गया है। घर-घर छठ के सुगवा के मारबो धनुष से … कोपी कोपी बोलेली छठी मइया…,. कांचे ही बांस के बहंगिया..के गीत बज रहे हैं। जिनके घरों में छठ हो रहा है, वहां परिवार के सभी लोग व्यस्त तो हैं ही, जिनके घर में नहीं हो रहा है वह भी अपना सहयोग कर रहे हैं। कोई सफाई काम में साथ दे रहा है, तो कोई खरीदारी में।

सोमवार को व्रती स्नान पूजा के बाद चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करेंगे। इसके बाद घर के सदस्य और आम लोग भी इसे ग्रहण करेंगे। इसे छठ का पहला महाप्रसाद भी माना जाता है। लोग घर- घर जाकर प्रसाद भी ग्रहण करेंगे।

मिलों की साफ-सफाई

छठ का गेहूं पीसने के लिए मिल संचालकों ने सफाई करना शुरू कर दिया है। सोमवार और मंगलवार को इन मिलों में सिर्फ छठ का गेहूं ही पीसा जाएगा।

मिल संचालक के मुताबिक साफ-सफाई करने के बाद छठ पूजा तक कोई दूसरा गेहूं नहीं पीसते हैं। यहां सफाई और पवित्रता का पूरा ख्याल भी रखा जाता है। कई मिलों में गेहूं पीसने का पैसा भी नहीं लिया जाता।

कद्दू की खूब हुई बिक्री

बाजारों में कद्दू खूब गिरे, लेकिन भाव भी ज्यादा रहे। 35 से 40 रुपये प्रति किलो कद्दू बिका। कद्दू के साथ अन्य सामग्री की खरीदारी भी व्रतियों ने की। खासकर नारियल, सूप और पूजन सामग्री की खरीदारी की गई। दूध की एडवांस बुकिंग मंगलवार को खरना है। इस दिन दूध की खपत ज्यादा होगी। समय पर दूध उपलब्ध हो जाए, इसके लिए दूध की एडवांस बुकिंग भी की जा रही है। दूध के काउंटरों पर पहले ही पैसे जमा कर दिए गए हैं। गौशाला में भी व्रतियों ने दूध की जरूरत बढ़ा दी है। गौशाला संचालकों के अनुसार जिनके घरों में छठ नहीं हो रहा है, उन्हें दूध नहीं देंगे या कटौती करेंगे। हर हाल में व्रतियों की दूध की जरूरत पूरा करेंगे।

कई घरों में मिट्टी का चूल्हा भी बना है

कई व्रतियों ने घरों में मिट्टी का चूल्हा भी बनाया है। छठ पूजा के प्रसाद इसी चूल्हे पर बनाए जाएंगे। लोहे के चूल्हे की भी खरीदारी हुई। जबकि कई लोग नई ईंट का उपयोग कर चूल्हा बनाएंगे। मिट्टी के चूल्हे 250- 300 रुपये तक में बिक रहे हैं।

खरना मंगलवार को है। इस दिन व्रतधारी दिनभर उपवास रखेंगे। सूर्यास्त के बाद भगवान की पूजा- अर्चना होगी। नैवेद्य अर्पित किया जाएगा। इसमें रोटी, खीर केला अर्पित करने की परंपरा है। कई स्थानों पर चावल, दाल और सब्जी भी बनाई जाती है और उसे भगवान को अर्पित किया जाता है।

 

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Author: nirbhiknazar

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