न्यूज़ डेस्क: हिंदुस्तान से करीब 15 हज़ार किमी दूर मैक्सिको में समंदर किनारे एक गांव है, नाम है उसका टिल्टेपैक। इस गांव में तकरीबन 70 झोंपड़ियां हैं जिनमें 300 के करीब लोग रहते हैं, ये सभी रेड इंडियन कहलाते हैं। हैरानी की बात है कि ये सब के सब अंधे हैं, इससे भी बड़ी बात तो ये है कि ये लोग ही नहीं बल्कि वहां रहने वाले कुत्ते, बिल्लियां और दूसरे जानवर भी पूरी तरीके से अंधे हैं।
कैसे होती है दिन और रात की शुरुआत?
अब चूंकि पूरा का पूरा गांव ही अंधों का है लिहाज़ा यहां रात अंधेरी होती है, यानी किसी भी घर में कोई लाइट या चिराग नहीं जलता है। इनके लिए दिन और रात बराबर हैं, ये अपने दिन का अंदाज़ा सवेरे पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ से शुरु करते हैं। और उठ कर अपने अपने कामों में जुट जाते हैं और जब शाम को पक्षियों का चहचहाना बंद हो जाता है, तो ये लोग भी अपनी झोंपड़ियों की तरफ चल पड़ते हैं।
दुनिया से अलग थलग क्यों हैं ये लोग?
टिल्टेपैक गांव की लोकेशन घने जंगलों के बीच है। यहां रहने वाले जापोटेक जाति के ये लोग सभ्यता और विकास से कोसों दूर हैं और किसी आदिमानव की तरह अपनी ज़िंदगी बिताते हैं। घने जंगलों में रहने की वजह से दूसरे लोगों को भी इनके बारे में कोई खास जानकारी नहीं है। जब सरकार को इनके और इन सबके अंधे होने के बारे में पता चला, तो इनके इलाज की कोशिश की गई लेकिन सब बेकार ही रहा। सरकार ने इन्हें दूसरे इलाकों पर बसाने की कोशिश की लेकिन ये भी मुमकिन नहीं हो सका क्योंकि जलवायु अनुकूल न होने की वजह से ये कहीं और जा भी नहीं सकते। ये लोग न केवल अंधे हैं बल्कि पूरी दुनिया से कटे होने की वजह से लाइट वैगहरा के बारे में भी नहीं जानते हैं। आज भी ये लोग लकड़ी और पत्थर के औजारों का ही इस्तेमाल करते हैं।