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8 सीटों पर मजबूत पकड़ रखते हैं हरक सिंह रावत, अब कांग्रेस के लिये बनेंगे स्टार प्रचारक !

देहरादून: कल तक कांग्रेस के सियासी खेत चरने वाले उज्याडू बल्द (उजाड़ने वाला बैल) की संज्ञा पा चुके पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत अब पार्टी की राजनीतिक जमीन को हर-भरा बनाने के लिए काम करेंगे। उनकी वापसी से होने वाले नफा-नुकसान का गुणा-भाग करने के बाद ही कांग्रेस पार्टी में उनकी एंट्री हुई है। ऐसे में पार्टी हरक के प्रभाव वाली गढ़वाल संसदीय क्षेत्र की सभी सीटों पर उन्हें बतौर स्टार प्रचारक मैदान में उतार सकती है।

भाजपा पर सियासी हमला करने के लिए हरक सिंह पार्टी के लिए तुरूप का इक्का साबित हो सकते हैं। भाजपा से निष्कासित होने के पांच दिन बाद कांग्रेस पार्टी में एंट्री के साथ ही हरक सिंह रावत को पार्टी में लिए जाने से होने वाले नफा-नुकसान को लेकर भी बहस शुरू हो गई है। वर्ष 2016 की घटना के बाद जिस तरह से पूर्व सीएम हरीश रावत और हरक सिंह रावत के बीच जुबानी जंग चली, उससे उनकी पार्टी में पुन: एंट्री को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन अब उनकी पार्टी में वापसी के बाद यह भी तय हो गया है कि कांग्रेस हरक सिंह रावत के सियासी रूतबे को अपनी खोई सियासी जमीन को वापस पाने के लिए बखूबी इस्तेमाल करेगी।

आठ सीटों पर मजबूत पकड़

हरक सिंह रावत की गढ़वाल संसदीय क्षेत्र की आठ सीटों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। राज्य बनने के बाद लैंसडौन, रुद्रप्रयाग और कोटद्वार से वह विधायक रह चुके हैं। इन सीटों के अलावा रुद्रप्रयाग, केदारनाथ, पौड़ी, श्रीनगर और चौबट्टाखाल क्षेत्र में उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है। श्रीनगर उनका घर भी है तो छात्र राजनीति की शुरूआत भी हरक ने यहीं से की।

हरक सिंह रावत वर्ष 2002 में कांग्रेस के टिकट पर लैंसडौन सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसी सीट पर उन्होंने वर्ष 2007 के चुनाव में भी जीत दर्ज की। इसके बाद वर्ष 2012 के चुनाव में सीट बदलकर वह रुद्रप्रयाग जा पहुंचे। यहां भी उन्होंने अपनी सियासी धमक जारी रखते हुए जीत दर्ज की। वर्ष 2016 की बगावत के बाद उन्होंने फिर सीट बदलते हुए वर्ष 2017 का चुनाव कोटद्वार से भाजपा के टिकट पर लड़ा और जीत दर्ज की।

इससे पहले वह वर्ष 1991 और 1993 में पौड़ी सीट से भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं। उस दौरान वह कल्याण सिंह सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री बने। उन्होंने 31 साल पहले अपना सियासी सफर भाजपा से ही शुरू किया था। राज्य बनने के बाद वह तीन सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे और पांच साल नेता प्रतिपक्ष भी रहे।

माना जा रहा है कि हरक की पार्टी में एक टिकट (उनकी पुत्रवधू के लिए) की शर्त पर एंट्री हुई। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि वह पूरे प्रदेश विशेषकर गढ़वाल की सभी सीटों पर पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। पार्टी जानती है हरक सिंह के समर्थक भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में हैं। जिनको वह पार्टी के लिए वोट में तब्दील करना चाहती है।

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Author: nirbhiknazar

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