देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला है। चुनाव में आम आदमी पार्टी भी पूरा जोर लगा रही है। लेकिन चुनावी सर्वे कमोबेश आम आदमी पार्टी को उत्तराखंड में वोट कटवा पार्टी ही बता रही है। यही सब देखते हुए शायद आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड छोड़ पंजाब मे कसरत शुरू कर दी है। 14 फरवरी को उत्तराखंड में चुनाव है। 70 विधानसभा सीटों पर एक ही दिन 14 फरवरी को चुनाव होंगे। चुनाव से ठीक पहले प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा किए गए सर्वे जहां कांग्रेस और बीजेपी के लिए चिंता बढ़ा रही हैं वहीं सर्वे की रिपोर्ट आम आदमी को रस्म अदायगी करने वाली पार्टी बता रही है।
उत्तराखंड में 2017 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ने के इच्छुक थी लेकिन अंतिम दौर पर अरविंद केजरीवाल ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। शायद वो उत्तराखंड की स्थिति को भाँप गए थे लेकिन 2022 में आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ने का मन बनाया पिछले 1 साल से आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में काम कर रही है टिकट बंटवारे में भी प्रत्याशियों के नाम घोषित करने में आम आदमी पार्टी ही अब तक बढ़त बना रही थी। लेकिन जब बड़े चैनलों से सर्वे के रिपोर्ट आई है और उसमें आम आदमी पार्टी को उतराखंड में सिर्फ महज एक दो सीटें मिलती दिखाई पड़ी और पंजाब में सरकार बनाने के तरफ सर्वे ने बताया तो आम आदमी पार्टी ने अपना सारा ध्यान उत्तराखंड की जगह पंजाब को दे दिया है।
अब उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी सिर्फ रस्म अदायगी के लिए अपने प्रत्याशी को उतार रही है । आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया जैसे बड़े चेहरे अब सिर्फ पंजाब में ही प्रत्याशियों के फेवर में कार्यक्रम कर रहे हैं ऐसी स्थिति में उत्तराखंड में विधानसभा प्रत्याशियों की स्थिति देखते ही बनती है। उत्तराखंड में विधानसभा का चुनाव टिकट मिलने के बाद प्रत्याशियों ने सोचा था कि उन्हें संगठन की तरफ से सहयोग मिलेगा लेकिन अब उन्हें भी यह लगने लगा है कि पार्टी का सारा ध्यान पंजाब की तरफ है । पार्टी उत्तराखंड में अब और अधिक काम नहीं करना चाहती दबी जुबान में आम आदमी पार्टी के नेता कहने लगे हैं कि आम आदमी पार्टी इस विधानसभा चुनाव में सिर्फ रस्म अदायगी के लिए उतरी है।
AAP मे बगावत का दौर
आप मे भी बगावत कम नहीं है बीजेपी- कांग्रेस के मुक़ाबले खुद को तीसरे विकल्प के रूप में मान रही आम आदमी पार्टी में भी बगावत कम नहीं हुई है। चुनाव से ठीक पहले AAP बगावती बिगुल बज चुका है। गढ़वाल मंडल के विकासनगर में प्रत्याशी चयन को लेकर जिलाध्यक्ष समेत 103 आप कार्यकर्ताओं ने उनकी अनदेखी का आरोप लगाते हुए सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया और AAP के बैनर झंडे पोस्टर जला दिये गए थे । और कुमाऊं के धारचूला में भी ऐसा ही मामला सामने आया जहां विधानसभा में प्रत्याशी घोषित होते ही कार्यकर्ताओं ने बगावत शुरू कर दी, आप के संगठन मंत्री ने पार्टी पर भाजपा से निष्कासित व्यक्ति को टिकट देने का आरोप लगाया था। जिसके बाद नाराजगी जताते हुए 156 समर्थकों के साथ पार्टी से इस्तीफा दिया था । धारचूला संगठन मंत्री गोविंद राम आर्या ने प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया को पत्र भेजकर इस्तीफा दिया था । संगठन मंत्री का कहना है कि वे दिल्ली में आंदोलन के दौरान से ही आप संयोजक अरविंद केजरीवाल से जुड़े हुए हैं। वर्ष 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने पार्टी हित में एक ईमानदार सिपाही के तौर पर कार्य किया।