देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति के चर्चित नेता हरक सिंह रावत राज्य गठन के बाद दो दशक के चुनावी इतिहास में पहली बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस में जाने के बाद उनके चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी। खुद हरक सिंह रावत का कहना था कि पार्टी यदि चुनाव लड़ने के लिए कहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे। भाजपा से निकाले जाने से पहले से ही हरक सिंह रावत लगातार यह बयान दे रहे थे कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते। हालांकि भाजपा ने जब उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया तो यही वजह बताई कि हरक सिंह अपने लिए, अपनी पुत्र वधू के लिए और एक अन्य टिकट की मांग कर रहे थे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन से तो टिकट मिल गया। लेकिन हरक सिंह रावत को कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं बनाया गया।
गुरुवार को कांग्रेस ने अपनी सभी शेष विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। शुक्रवार को नामांकन का आखिरी दिन है। तीन दशक की चुनावी सियासत में पहली बार हरक सिंह रावत चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद अब तक हुए सभी विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत ने ताल ठोकी थी और विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने 2002 में वह लैंसडौन सीट से चुनाव जीते थे। 2007 में भी वह लैंसडौन से चुनाव जीते। 2012 में उन्होंने रुद्रप्रयाग से चुनाव लड़ा और जीता। 2017 में वह कोटद्वार विस से चुनाव जीते। 2022 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह की डोईवाला, केदारनाथ, यमकेश्वर या लैंसडौन विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने चर्चाएं गरमा रही थीं। हरक खुद बयान दे रहे थे कि वह इन चारों सीटों में से कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं।
भाजपा से विदाई और कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनके चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ने की अटकलें शुरू हो गईं। चर्चा उनके डोईवाला से चुनाव लड़ने को लेकर भी थी। लेकिन गुरुवार को कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी और इसके साथ ही हरक सिंह के चुनाव लड़ने की संभावनाएं भी खत्म हो गईं।
हरीश रावत का सपना साकार कर रहे हरक
आपको बता दें उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार करते रहे हैं. इस बात का हरीश रावत ने खुद ऐलान किया था . रावत ने कहा था कि 2021 में वो खुद चुनाव ना लड़कर कांग्रेसी उम्मीदवारों की जीत के लिए प्रचार करना चाहते हैं. रावत ने कहा था कि राज्य में जब भी उन्होंने चुनाव की बागडोर संभाली है तो कांग्रेस को बेहतर सफलता मिली है. रावत का कहना था कि अगर मैं खुद चुनाव लडूंगा तो एक सीट पर ही सीमित हो जाऊंगा. जबकि मुझे इस बार के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करना है. लेकिन अब ये काम हरक सिंह रावत कर रहे हैं रावत इस बार विधानसभा का चुनाव न लड़कर चुनाव लड़वा रहे हैं।