देहरादून: उत्तराखंड मे चुनावी प्रचार प्रसार आपने अंतिम चरण पर है और उत्तराखंड मे तमाम राजनैतिक दलों के दिग्गजो ने प्रचार प्रसार मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई केंद्रीय मंत्री और बीजेपी शासित प्रदेशों के कई मुख्यमंत्रियों ने उत्तराखंड मे प्रत्याशियों के लिए डोर टू डोर संपर्क भी किया और वोट मांगने के साथ साथ भाजपा की नीतियों से जनता को रूबरू कराया। इसी क्रम मे कांग्रेस मे भी यही सिलसिला लगातार जारी रहा राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस के कई दिग्गजों ने उत्तराखंड मे आकर चुनाव को धार दी और कांग्रेस के लिए वोटिंग करने का आह्वान किया आम आदमी पार्टी भी प्रचार प्रसार मे पीछे नहीं रही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्न्द केजरीवाल से लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सीसोदिया के साथ साथ दिल्ली सरकार के कई दिग्गज मंत्री और आप के नेता उत्तराखंड मे डेरा डाले रहे और तमाम पार्टियों ने उत्तराखंड की जनता को कई तरीके से वोट के लिए रिझाया बल्कि आम आदमी पार्टी ने तो बीजेपी कांग्रेस के वोटरों से भी आप को वोट देने की अपील कर दी । लेकिन बगावत और सियासत दोनों इस बार चुनाव पर हावी हैं ये हम इसलिए कह रहे हैं की उत्तराखंड नेता शायद बगावत को ही सियासत समझने लगे हैं। और तीनों ही पार्टियां बगावत से अछूती नहीं हैं। आपको कुछ ऐसी बड़ी विधानसभा सीटों के बारे मे बताते हैं जहां बगावत ज़ोरों पर है और पार्टी के बड़े प्रत्याशी न इस बगावत को निगल पा रहे हैं और न अनदेखा कर सकते हैं।
बात सबसे पहले लालकुआं विधानसभा सीट की जहां से हरीश रावत कांग्रेस से चुनावी मैदान मे हैं और उनके मुखालिफ संध्या डालाकोटी निर्दलीय चुनावी मैदान मे हैं जो टिकट मिलने के बाद टिकट कटने पर कांग्रेस से नाराज हैं जो हरदा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती हैं। दूसरे रुद्रपुर से भाजपा से टिकट न मिलने पर विधायक राजकुमार ठुकराल निर्दलीय चुनावी मैदान मे हैं जो बीजेपी प्रत्याशी शिव अरोड़ा के गले की फांस बने हुए हैं। धानौल्टी विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी प्रीतम पँवार का भी हलक सुख रहा है वहाँ से महावीर सिंह रांगड़ बीजेपी से टिकट न मिलने पर नाराज़ हुए और उन्होने निर्दलीय लड़ने का फैसला किया। माना जा रहा है की इस बार जांगड़ और ठुकराल दोनों ही निर्दलीय जीतकर आ सकते हैं। बात करें आम आदमी पार्टी की
तो आम आदमी पार्टी से अब तक करीब 50 पदाधिकारी पार्टी छोड़ चुके हैं जिनमे प्रदेश लेवल से लेकर आप के जिला अध्यक्ष तक शामिल हैं। लेकिन बीजेपी की एक ऐसी सीट ने पार्टी की नींद हराम कर दी जहां पर बीजेपी के लोग ही कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव जिताने मे लगे हुए हैं।
रायपुर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी और 2 बार के विधायक उमेश शर्मा काऊ लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे हों, और भले ही लोगों से अपने पक्ष में वोट करने की भी अपील कर रहे हों । लेकिन रायपुर विधानसभा क्षेत्र से खुद बीजेपी के ही कार्यकर्ता उमेश शर्मा काऊ से नाराज होकर उनका विरोध कर रहे हैं और कांग्रेस प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट को चुनाव जीतने की बात कह रहे हैं । उनका कहना है कि उमेश शर्मा काऊ सिर्फ अपने लोगों के ही साथ घूमते हैं और उन्हीं के कहने पर वह काम करते हैं बाकी कार्यकर्ताओं की उमेश शर्मा काऊ के द्वारा अनदेखी की जाती है कार्यकर्ताओं के मुताबित वो भाजपा के और उमेश शर्मा काऊ के साथ आज से नहीं बल्कि कई सालों से हैं फिर भी उनकी लगातार पार्टी में अवहेलना की जाती रही है जिससे कार्यकर्ता काफी नाराज हैं और हीरा सिंह बिष्ट के पक्ष में लोगों से वोट करने की अपील कर रहे हैं कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है की उन्हे कांग्रेस के प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट के व्यक्तित्व मे मोदी की छवि दिखती है। आपको बता दें की उमेश शर्मा काऊ 2012 में पहली बार इस सीट पर कांग्रेस पार्टी से मैदान में उतरे थे और भाजपा ने तत्कालीन सरकार में मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उतारा. दोनों के बीच कांटे का मुकाबला हुआ. ‘काउ’ के समर्थक त्रिवेंद्र पर बाहरी होने का आरोप लगा रहे थे, तो त्रिवेंद्र समर्थक विकास की दुहाई दे रहे थे. कांटे के इस मुकाबले को उमेश शर्मा ‘काउ’ ने 474 वोटों से जीत कर मंत्री त्रिवेंद्र को जोरदार पटखनी दी. भाजपा ने साल 2016 में हरीश रावत के जिन 10 विधायकों को तोड़ा उनमें ‘काउ’ भी एक थे. भाजपा में शामिल होकर ‘काउ’ ने अपनी टिकट पक्की कर ली और 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उमेश शर्मा काऊ जीत गए। लेकिन काऊ भले ही अब बीजेपी मे आ गए हों लेकिन बीजेपी लोग शायद इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं की काऊ पार्टी मे आकार अब तक भी भाजपा की नीतियों पर चलना नहीं सीखा उनके अंदर अभी भी कांग्रेस वाला काऊ मौजूद है शायद इसीलिए क्षेत्र मे बीजेपी के लोग कांग्रेस प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट के अंदर मोदी की छवि देख रहे हैं।