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ये शख्स इंसान के जिस्म से चूस लेता है सांप का जहर, 12 साल की उम्र मे सीखी थी विधा, बचा चुका है अब तक 5 हज़ार जिंदगी…

न्यूज़ डेस्क: शिव भक्त रामबली सर्पदंश से अचेत लोगों के जिस्म से जहर चूसकर तथा जड़ी बूटी से उपचार कर उनकी जान बचा रहे है। 28 साल के भीतर वह करीब पांच हजार से अधिक सर्प काटे लोगों की जान बचा चुके है। 20 हजार से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू कर उनके सुरक्षित वास स्थल भी मुहैया करा रहे है। 12 साल की उम्र में सर्प नियंत्रण की विद्या सीखने वाले रामबली अब तक शाहजहांपुर समेत करीब दो दर्जन जिलों के लोगों को ठीक कर चुके हैं।

हरदोई जनपद के थाना लोनार के गांव तेरिया के मूल निवासी रामबली ने 12 साल की उम्र में सर्पदंश विद्या सीखने के लिए घर छोड़ दिया। फर्रूखाबाद जनपद के अर्जुनपुर गांव में सपेरो की महिला मुखिया से उन्होंने दीक्षा ली। 18 साल की उम्र में कलकत्ता के आगे एक गांव में रहकर कुछ दिन साधना की। इसके बाद सर्प काटे का उपचार शुरू कर दिया। अब मोक्षधान श्मशान में दैनिक साधना के साथ वह सर्पदंश समेत कई बीमारियों का उपचार करते है।

ताई के ठीक होने पर सर्पदंश विद्या का संकल्प

रामबली बताते है कि 31 वर्ष पूर्व उनकी ताई को सांप ने काट लिया। अर्जुनपुर के सपेरों ने ठीक कर दिया। इससे प्रभावित होकर खुद विद्या सीखने की ठान ली। पिता रूपलाल ने मना किया। मां ने भी समझाया। लेकिन जिद देख उन्होंने अनुमति दे दी। विद्या सीख के बाद लोगाें की निस्वार्थ सेवा शुरू कर दी। रामबली का कहना है निश्शुल्क व निस्वार्थ सेवा से दुआओं के साथ जो सुकून, सुख मिलता, उसे शब्दाें में बयां करना मुश्किल है।शहाबाद सिरोवननगर गांव के बेचेलाल का जिक्र करते हुए बोले सर्पदंश से अचेत होने पर उन्हें बरेली के एक निजी अस्पताल में वेंटीलेटर पर थे। घर वालों ने भरोसा कर वहां से बुला लिया। उपचार से वह ठीक हो गए। इसी तरह कई लोगों को नई जिंदगी मिली गई।

रक्त से सांप का जहर असर करता, चूसने से नहीं

रामबली बोले वह सांप काटे स्था से जिस्म का खून चूसकर वह जहर निकाल लेते। इसके बाद जड़ी बूटी पिला दी जाती। इससे जहर का असर समाप्त हो जाता। उन्होंने स्पष्ट किया कि सांप का जहर खून के संपर्क में आने पर असर करता। मुंह से जहर चूसने पर नहीं। लेकिन यदि मुंह में छाले है, दातों में पायरिया व बादी है तो चूसने पर जहर का असर होने लगेगा।

प्राथमिक उपचार में काली मिर्च को घी में मिलाकर खिलाएं, फिर अस्पताल लें जाएं

रामबली घरेलू उपचार को खतरनाक बताते है। बोले कि जड़ी बूटी से इलाज तो संभव है, लेकिन पूर्ण जानकारी न होने पर खतरा बना रहता है। इसलिए तत्काल अस्पताल ले जाना चाहिए। प्राथमिक उपचार के लिए काली मिर्च को घी में मिलाकर खिला देने से जहर का असर कुछ कम हो जाता है।

1997 में नहर कोठी में सांप पकड़ने आए, फिर यहीं के होकर रह गए

रामबली बताते है कि उनके ताऊ रामनाथ शाहजहांपुर में नहर कोठी में रहते थे। वहां सांप अधिक थे। 1997 में वह ताऊ के साथ सांप पकड़ने आए। इसके बाद कुछ दिन उद्यान विभाग की नर्सरी में रहे। 1999 में बाबा जीर्णोद्धार समिति ने संपर्क साधा और शाहजहांपुर मोक्षधाम श्मशान की जिम्मेदारी सौंप दी। रामबली पत्नी मीना देवी व चार बेटी व एक बेटे के साथ वह शहर में ही रहते है।

50 से ज्यादा प्रजातियों के सांप है रुहेलखंड व अवध में, कोबरा सबसे खतरनाक

रामबली बताते हैं शाहजहांपुर, हरदोई, सीतापुर, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, कानपुर समेत दाे दर्जन जिलों में वह सांप पकड़ने के साथ करीब पांच हजार सर्पदंश पीड़ितों को ठीक कर चुके है। 20 हजार के करीब सांपो को पकड़कर उनका रेस्क्यू किया। रामबली का कहना है कि इन क्षेत्रों में सांपों की करीब 50 प्रजातियां है। इनमें करैत सबसे जहरीली है।

अंतिम संस्कार में हर किसी की करते है मदद

रामबली, खन्नौत नदी लाल पुल स्थित मोक्षधाम (श्मशान) में रहते है। यहां वह लोगों की अंतिम संस्कार में मदद भी करते है। अंत्येष्टि के बाद रामबली चिताओं की भी देखरेख करते हैं।

जड़ी बूटी उगा, कर रहे निश्शुल्क उपचार, पाए पुरस्कार

रामबली पर्यावरण प्रेमी भी है। बाबा विश्वनाथ जीर्णोद्धार समिति के सहयोग से रामबली ने मोक्षधाम में तमाम औषधीय पौधे लगाए है। जिनकी मदद से वह सर्पदंश, पीलिया, डायबिटीज आदि कई बीमारियों का इलाज करते है।

माेक्षधाम का यह पौधे बढ़ा रहे महत्व

शरीफा, एलोवेरा, चीकू, काला अमरूद, चाइनीज अमरूद, लाल अमरूद, करौदा, लीची, नाशपाती, सेब, संतरा, मौसम्मी, नाशपाती, अंगूर, इलायची, लौंग, तेजपात, कटहल, आडू, अलूचा, नीबू, चकोतरा, आम, संतरा, अनार आदि फलों के अलावा गुलाब, गेंदा, स्नेकपाम, अंब्रेलापाम, क्रोटन, हवेलिया, एकजोरा, कैक्टस, नागफनी, चांदनी, साइकस पाम, एरोकेरिया, गुलदाउदी आदि।

घरों से विषधर पकड़कर करते है संरक्षण

रामबली सूंघकर सांप ढूंढ लेते है। घरों में सांप होने पर लोग वन कार्मिकों के बजाय उन्हें बुलाते है। सांप की गंध से वह उन्हें पल भर में ही पकड़ लेते हैं। 28 साल में दस हजार के करीब सांपों काे पकड़कर रेस्क्यू कर चुके हैं।

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Author: nirbhiknazar

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