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महिला नहीं, पुरुष है मेरी पत्नी ! व्यक्ति ने पत्नी और उसके परिवार को सजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट मे लगाई गुहार…

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में एक शख्स ने अपनी पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी करने का मुकदमा दायर किया है. शख्स का कहना है कि उनकी पत्नी के पास पुरुष ‘जननांग’ है. अब सुप्रीम कोर्ट पुरुष की याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने पत्नी से जवाब मांगा है. व्यक्ति ने कोर्ट में एक मेडिकल रिपोर्ट पेश की, जिसमें खुलासा किया गया कि उसकी पत्नी के पास एक लिंग और एक अपूर्ण हाइमन है. ‘इम्परफोरेट हाइमन’ एक जन्मजात विकार है, जिसमें बिना खुले हुए हाइमन योनि को पूरी तरह से बाधित कर देता है.

पीड़ित शख्स को ठगा गया

व्यक्ति के वकील एनके मोदी ने पीठ को बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत एक आपराधिक मामला है, क्योंकि पत्नी एक ‘पुरुष’ है. वह एक आदमी है. यह निश्चित रूप से धोखा है. यह किसी जन्मजात विकार का मामला नहीं है. यह एक ऐसा मामला है जहां मेरे क्लाइंट को शादी कर ठगा गया है. वह निश्चित रूप से अपने जननांगों के बारे में जानती थी.

पत्नी को नहीं कहा जा सकता महिला

एनके मोदी जून 2021 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बहस कर रहे थे, जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट के एक आदेश को रद्द कर दिया गया था, जिसने धोखाधड़ी के आरोप का संज्ञान लेने के बाद पत्नी को सम्मन जारी किया था. मोदी ने शिकायत की कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त चिकित्सा साक्ष्य हैं कि एक अपूर्ण हाइमन के कारण पत्नी को महिला नहीं कहा जा सकता है.

अंडाशय हैं सामान्य

इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या आप कह सकते हैं कि लिंग केवल महिला नहीं है, क्योंकि एक अपूर्ण हाइमन है? मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके अंडाशय सामान्य हैं. तब मोदी ने कहा कि न केवल ‘पत्नी’ के पास एक छिद्रित हाइमन होता है, बल्कि एक लिंग भी होता है. एक अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट साफ कहती है. जब लिंग है तो वह महिला कैसे हो सकती है? पीठ ने तब मोदी से पूछा, आपका क्लाइंट वास्तव में चाहता क्या है? इस पर मोदी ने कहा कि वह चाहता है कि इस याचिका पर ठीक से मुकदमा चलाया जाए और पत्नी को उसके पिता को धोखा देने और उसका जीवन बर्बाद करने के लिए कानूनी परिणाम भुगतने

शख्स के खिलाफ भी मामला है दर्ज

कोर्ट ने आगे कहा कि पत्नी द्वारा व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए (क्रूरता) के तहत एक आपराधिक मामला भी दर्ज किया गया है, क्योंकि मोदी ने पीठ को सूचित किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ मामला भी लंबित है. पीठ ने तब पत्नी, उसके पिता और मध्य प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था.

2017 में याचिका की थी दर्ज

मई 2019 में ग्वालियर के एक मजिस्ट्रेट ने व्यक्ति द्वारा दायर एक शिकायत पर पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप का संज्ञान लिया था. उन्होंने आरोप लगाया कि 2016 में उनकी शादी के बाद, उन्हें पता चला कि पत्नी के पास एक पुरुष जननांग है और वह शादी को पूरा करने में शारीरिक रूप से अक्षम थी. पत्नी और उसके पिता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए व्यक्ति ने अगस्त 2017 में मजिस्ट्रेट से संपर्क किया था.

कोर्ट ने समन किया था जारी

दूसरी ओर पत्नी ने दावा किया था कि पुरुष ने अतिरिक्त दहेज के लिए उसके साथ क्रूरता का व्यवहार किया और परिवार परामर्श केंद्र में शिकायत दर्ज कराई, जहां उसने दावा किया कि वह एक महिला है. इस बीच ग्वालियर के एक अस्पताल में पत्नी का मेडिकल जांच की गई. न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आगे उस व्यक्ति और उसकी बहन के बयान दर्ज किए और आपराधिक आरोप का संज्ञान लेते हुए उसकी पत्नी और उसके पिता को समन जारी किया था.

हाई कोर्ट ने आदेश किया था रद्द

समन के खिलाफ पत्नी और उसके पिता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने जून 2021 में उनकी अपील को अनुमति दी और मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया. हाई कोर्ट ने माना कि मेडिकल रिपोर्ट पत्नी पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त नहीं थे और मजिस्ट्रेट ने आदमी के बयानों को बहुत अधिक विश्वसनीयता देने में गलती की.

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Author: nirbhiknazar

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