देहरादून: भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 70 में से 47 सीटों पर जीत दर्ज की। अलग राज्य बनने के बाद पांचवें विधानसभा चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ कि किसी दल ने लगातार दूसरी बार बहुमत प्राप्त कर सरकार बनाई। विधानसभा चुनाव निबट गए, कांग्रेस बहुमत के 36 के आंकड़े को तो नहीं छू पाई, लेकिन 11 से 19 तक जरूर जा पहुंची। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भ्रमित दिख रही कांग्रेस अब भी उलझन का शिकार है। चुनाव में करारी हार का ठीकरा प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के सिर फूटा, पार्टी ने उन्हें किनारे लगा दिया। स्थिति यह है कि संगठन के मुखिया की कुर्सी तो खाली है ही, विधायक दल का नेता तय करने के मामले में भी एक राय नहीं। चर्चा ये भी थी की सीएम धामी के लिए कोई कांग्रेस का विधायक ही सीट खाली कर सकता है जिसका डर कांग्रेस को सताने लगा है अगर ऐसा हुआ तो सदन मे कांग्रेस के सिर्फ 18 विधायक ही बचेंगे। जिसको लेकर कांग्रेस असमंजस मे है । यानि साफ है की केंद्र से लेकर राज्य तक मे कांग्रेस बिखरने की कगार पर है कांग्रेस अपने नेताओं के एकजुट नहीं कर पा रही है।
वहीं अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चम्पावत से विधानसभा उप चुनाव लडऩे की चर्चा ज़ोर पकड़ रही है जिससे कांग्रेस ने भी राहत की सांस ली है । कांग्रेस को भय सता रहा था कि 2007 और 2012 की तरह 2022 में भी मुख्यमंत्री को विधायक बनाने के लिए कहीं विपक्ष का विधायक अपनी सीट न छोड़ दे। स्थानीय विधायक कैलाश गहतोड़ी पहले विधायक थे, जिन्होंने धामी के खटीमा से चुनाव हारने के बाद उनके लिए अपनी सीट छोडऩे की पेशकश की थी ।
2007 में भाजपा के भुवन चंद्र खंडूड़ी के लिए कांग्रेस के टीपीएस रावत और 2012 में कांग्रेस के विजय बहुगुणा के लिए भाजपा के किरण मंडल ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा नेतृत्व द्वारा धामी को ही मुख्यमंत्री बनाने के निर्णय के बाद कांग्रेस खेमे में घबराहट फैल गई थी कि कहीं इतिहास फिर दोहरा न दिया जाए। इसीलिए कांग्रेस अब थोड़ी कुछ सुकून में है। लेकिन अब भी पार्टी मे नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पर्दा नहीं उठा है।