देहरादून: विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार भाजपा के हाथों करारी पराजय झेलने के बाद अब कांग्रेस ने उत्तराखंड में पार्टी की कमान पूर्व विधायक करण माहरा को सौंप दी है। प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए माहरा अल्मोड़ा जिले की रानीखेत सीट से विधायक रहे हैं। नेता विधायक दल के रूप में पूर्व मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके यशपाल आर्य को जिम्मेदारी दी गई है। वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएंगे। इनके अलावा भुवन चंद्र कापड़ी को विधायक दल का उप नेता बनाया गया है। कांग्रेस ने पिछली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहीं डा इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को इस पद का दायित्व दिया था। प्रीतम सिंह के स्थान पर पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की गई थी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस उम्मीद के साथ गई कि पांच साल बाद सत्ता में वापसी करेगी, लेकिन उसकी यह उम्मीद पूरी नहीं हुई।
अब कांग्रेस के ऐलान के बाद उत्तराखंड मे हलचल तेज हो गई है कहा ये भी जा रहा है की प्रीतम सिंह नाराज़ हैं और अब भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं प्रीतम की सीएम धामी से मुलाकात की तस्वीर ने उत्तराखंड कांग्रेस को टेंशन मे डाल दिया है। जबकि कांग्रेस के नेता इस मुलाकात को सामान्य मुलाकात बता रही है। और भाजपा का कहना है की कांग्रेस के तमाम नेता इधर उधर भाग रहे हैं
सवाल ये है की क्या गणेश गोड़ियाल और प्रीतम सिंह को दोबारा पदभार नहीं देना चाहिए था ? क्या नए चेहरे पुरानों की तुलना मे अच्छी पकड़ रखते हैं ? क्या प्रीतम और गोदियाल को दोबारा पदभार देकर कांग्रेस का नुकसान हो जाता या फिर कांग्रेस मे हार के जिम्मेदार प्रीतम और गोदियाल हैं ?
दूसरी तरफ उत्तराखंड की राजनीति में पहले भाजपा ने गढ़वाल से बड़े नेताओं की मुख्यधारा से छुट्टी की और अब कांग्रेस ने भी उसी तरफ कदम बढ़ाते हुए प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की बागडोर कुमाऊं के नेताओं को सौंप दी लेकिन भाजपा मे अभी जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊँ से आते हैं तो प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक गढ़वाल से ताल्लुक रखते हैं ।
इस विधानसभा चुनाव में 19 में 11 सीट देने वाले कुमाऊं मंडल में कांग्रेस खुद को और मजबूत करने की कोशिश करेगी।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान ने पाया कि राजनीतिक लिहाज से इस वक्त यशपाल आर्य सबसे लाभकारी चेहरा साबित होंगे। प्रीतम सिंह मजबूत नेता तो हैं लेकिन वो जिस एसटी वर्ग से आते हैं, वो राज्य की राजनीति में बदलाव करने की क्षमता नहीं रखता। जबकि आर्य का एक एससी वर्ग में एक अलग पहचान है। आर्य की उस वर्ग पर अच्छी पकड़ है। दूसरी तरफ, प्रदेश अध्यक्ष पद पर ठाकुर करन माहरा और उप नेता पद पर ब्राह्मण भुवन कापड़ी की नियुक्ति से कांग्रेस ने जातीय फार्मूले को भी साध लिया है। साथ ही दो युवाओं को अहम जिम्मेदारी देकर नए नेतृत्व को उभारने का संदेश भी दिया है।