देहरादून: प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल उपनेता की नियुक्ति से उपजे क्षेत्रीय असंतुलन को पाटने को कांग्रेस गढ़वाल से कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त सकती है। जातीय गणित के अनुसार, पार्टी में किसी ब्राह्मण नेता को यह जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। कांग्रेस सूत्रों ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पार्टी में असंतोष की बात सामने आई हैं, उसे देख इस पहलू पर विचार हो रहा है। उत्तराखंड की राजनीति में क्षेत्रीय और जातीय राजनीति गढ़वाल-कुमाऊं और ब्राह्मण-ठाकुर के ईद-गिर्द घूमती है। यहां सरकार बनने पर सीएम और प्रदेश अध्यक्ष और विपक्ष में रहने पर प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष का पद इसी फार्मूले से तय होता आया है। कांग्रेस ने इस बार जिन नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल का उप नेता बनाया, वो सभी कुमाऊं मंडल से आते हैं।
गढ़वाल मंडल के कांग्रेस नेता इसे अपनी उपेक्षा के रूप में देख रहे हैं। इसे लेकर कई इस्तीफे भी हो चुके हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तक को पत्र भेज भूल सुधारने का अनुरोध किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, हाईकमान तीनों पदों पर नियुक्तियों के फैसले पर तो अडिग है, लेकिन असंतोष पाटने के लिए नया रास्ता भी निकाला जा रहा है।