देहरादून: उत्तराखंड मे इस वक्त एसीआर लिखने का मुद्दा गरमाया हुआ है मंत्री चाहते हैं की वो अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट यानि ACR लिखें यानि लोकशाही चाहती है की उसे नौकर शाही की परफॉर्मेंस का आकलन कर उसकी रिपोर्ट लिखने का हक मिले के । आपको बता दें की ACR लिखने की मांग सबसे पहले उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने उठाई थी। सतपाल महाराज का कहना था की, सचिव की एसीआर लिखने का अधिकार सीएम के पास होने की वजह से अधिकारी, कई बार अपने मंत्री की अनदेखी करने लगते हैं। अन्य मंत्रियों ने भी सतपाल महाराज की हाँ मे हाँ मिलाकर ये अधिकारियों की ACR लिखने की मांग की थी। वहीं सतपाल महाराज ये तर्क दिया था की कई राज्यों में इस तरह की व्यवस्था लागू है जिसके बाद कैबिनेट मंत्री महाराज के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं की तत्काल एक कमेटी बनाकर इस बात का अध्ययन किया जाए कि कौन-कौन से राज्यों में मंत्रियों को सचिवों की एसीआर लिखने का अधिकार है।
वहीं एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रदेश के ब्लाक प्रमुख संगठनों की मांगों पर बड़ा निर्णय लेते हुए पंचायतराज मंत्री सतपाल महाराज ने चंद रोज़ पहले ब्लॉक प्रमुखों को खंड विकास अधिकारी की एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) लिखने का अधिकार दिए जाने की घोषणा कर दी है। लेकिन सीएम के आदेश पर अभी मुख्यसचिव द्वारा गठित कमेटी इस बात का अध्ययन कर रही है की इसे उत्तराखंड मे कैसे लागू किया जाए और ऐसे कौन कौन से राज्य हैं जहां मंत्री सचिवों की एसीआर लिखते हैं
आपको बता दें की उत्तराखंड मे मंत्रियों और सचिवों की कई बार झड़प हो चुकी है कई मंत्री ऐसे भी हैं जिनके साथ उत्तराखंड के अधिकारी काम नहीं करना चाहते पिछली सरकार मे राज्यमंत्री रेखा आर्य और उनके विभागीय अधिकारियों की आपसी खींचतान खुलकर सामने आई थी। और इस सरकार मे लोकशाही ACR के जरिये नौकरशाही पर हावी होना चाहती है और UPSC जैसा टफ एग्जाम पास करके आने वाले अधिकारियो को मनमुताबिक चलाना चाहती है। जिसका अधिकारी दाबी जुबान मे विरोध भी कर रहे हैं।
आपको याद दिला दें की राज्यमंत्री रेखा आर्य और आईएएस वी षणमुगम के विवाद के बाद रेखा आर्य की विभागीय सचिव आईएएस सौजन्या ने भी महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग छोड़ दिया था और ये बात सामने आई थी की उनके विभाग के भी कुछ अधिकारी रेखा आर्य के साथ काम नहीं करना चाहते हैं इस घटना से पहले आईएएस वी षणमुगम ने भी लिखित में मुख्य सचिव को पत्र देकर रेखा आर्य के विभाग को छोड़ने की इच्छा जाहीर की थी और साथ ही मुख्य सचिव को पत्र देकर आईएएस षणमुगम अगले करीब 10 दिन की छुट्टी पर चले गए थे। कुल मिलाकर एसीआर एक ऐसा मुद्दा है जिसके जरिए लोकशाही नौकरशाही की नकेल अपने हाथ में रखना चाह रही है । यह कवायद राज्य के विकास के नजरिए से फायदेमंद होगी या नुकसानदायक एक बड़ा सवाल है।
अब सवाल ये उठता है की क्या मंत्रियों की एसीआर लिखने की मांग ठीक है ? एसीआर लिखने का मक़सद अधिकारियों को दबाव मे लेना नहीं है ? उन्हे परेशान करना नहीं है ? उनका मनोबल गिराना नहीं है ? अगर 10 वीं 12वीं या ग्रेजुएट मंत्री एक अधिकारी जो UPSC जैसी परीक्षा पास करके आता है उसकी ACR लिखेंगे तो इससे अधिकारी का मनोबल नही गिरेगा? आइये एक नज़र उत्तराखंड सरकार के 8 मंत्रियों पर डाल लेते हैं की जो IAS, IPS और PCS अधिकारी की एसीआर लिखने की बात कर रहे हैं उनकी शिक्षा कितनी है ?
धामी सरकार के 8 मंत्री और उनकी शिक्षा
- सतपाल महाराज – 12 वीं पास
- सुबोध उनियाल – पोस्ट ग्रेजुएट
- डॉ0 धन सिंह रावत – Phd
- गणेश जोशी – 10 वीं पास
- चन्दन रामदास – ग्रेजुएट
- प्रेम चंद अग्रवाल – पोस्ट ग्रेजुएट
- सौरभ बहुगुणा – एल एल बी
- रेखा आर्य – पोस्ट ग्रेज्युएट