लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को योगी आदित्यनाथ सरकार बड़ी राहत दे सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद बिजली दरों में कमी कराने के लिए सक्रिय हो गया है। सूत्रों का कहना है कि इस बार बिजली की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी। हालांकि, माना जा रहा है कि बिजली की दरों में थोड़ी बहुत इजाफा होगा, क्योंकि कंपनियों का कहना है कि उन्हें घाटा हो रहा है। फिलहाल, अभी तक कंपनियों ने अपने प्रस्ताव में बिजली की दरों को बढ़ाने का जिक्र नहीं किया है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों के रवैये से साफ हो गया है कि वे उपभोक्ता परिषद की बिजली दरों में कमी की याचिका पर कोई जवाब नहीं देंगी। वर्मा ने गुरुवार को राज्य के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से उनके आवास पर मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि अब आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 20,596 करोड़ रुपये के एवज में दरों में कमी करे।
वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए राज्य सरकार को भी आगे आकर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत नियामक आयोग को बिजली दरों में कमी का निर्देश देना चाहिए। उन्होंने बताया कि ऊर्जा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वह पूरे मामले को देखेंगे और उस आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
बिजली कंपनियों पर आरोप
वर्मा ने बताया कि इस ज्ञापन में ऊर्जा मंत्री से मांग की गई कि प्रदेश सरकार इसे लोक महत्व का विषय मानते हुए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत विद्युत नियामक आयोग को बिजली दरों में कमी कराने का निर्देश दे, जिससे बिजली दरों में कमी हो सके।
उन्होंने बताया कि बिजली कंपनियों ने उदय और ट्रूअप योजनाओं का लाभ जनता को नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अगर धनराशि की बात करें तो यह लगभग 20596 करोड़ रुपए है, ऐसे में इस धनराशि के समायोजन के लिए प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दरों में भी कमी की जानी चाहिए।