धौलपुर: राजस्थान के धौलपुर जिले में को इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आय़ा है। उल्टी-दस्त और पेट दर्द की शिकायत पर एक मजदूर पिता 3 बच्चों को लेकर जिला अस्पताल आया। इनमें एक बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उसे ना तो अस्पताल में आते वक्त और ना ही जाते वक्त स्ट्रैचर मिला। इसलिए कंधे पर ही बेटे की लाश लेकर टेंपो तलाशने सड़क तक आना पड़ा। हालांकि दो अन्य बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं।
दरअसल, सैपऊ के कुम्हेरी में ईंट-भट्टे पर काम करने वाले श्रमिक छत्तीसगढ़ निवासी श्यामलाल के 3 बच्चे शनिवार सुबह अचानक बीमार हो गए। इनमें समीर (10), संगीता (9) और बबलू (7) हैं। इन्हें पहले तसीमों में प्राइवेट क्लिनिक पर दिखाया। लेकिन, फायदा नहीं होने पर वह पत्नी के साथ उनको जिला अस्पताल धौलपुर ले गया।
इमरजेंसी से एमसीएच में भेजा, वहीं हुई समीर की मौत
यहां जैसे तैसे एक बच्चे को पत्नी के कंधे पर और एक को खुद के कंधे पर लेकर इमरजेंसी में पहुंचा। यहां से इन्हें अस्पताल की दूसरी बिल्डिंग मातृ एवं शिशु संस्थान भेज दिया गया। लेकिन, यहां समीर को मृत घोषित कर दिया गया। लेकिन यहां से उसे स्ट्रैचर तक उपलब्ध नहीं हुआ। इसलिए श्यामलाल बेटे की लाश को कंधे पर लेकर सड़क पर टेंपो तक पहुंचा। उसके साथ पत्नी भी पैदल ही आ गई। दोनों भीषण गर्मी में ऑटो के लिए सड़क पर भटकते रहे। इस नजारे ने सभी को झकझोर दिया। इधर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि भौगोलिक रूप से यह कई हिस्सों में बंटा हुआ हैं। स्टाफ की काफी कमी है। लेकिन, कई बार रोगियों को जल्दबाजी में उनके परिजन स्ट्रैचर तलाशने के बजाय कंधे पर ही ले आते हैं।
बीमार बच्चों को एंबुलेंस से एमसीएच में भर्ती करायाः पीएमओ
अस्पताल में तीन स्ट्रेचर लगातार रखे हुए है। शनिवार को कुछ लोग 5 बच्चों को दिखाने के लिए इमरजेंसी में आए थे। यहां चिकित्सक ने उन्हें देखा। इन्हें अस्पताल की एम्बुलेंस के जरिए ड्राइवर जसवंत ने एमसीएच में भर्ती करवाया। जहां एक बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया था। जो फोटो लिए गए हैं वे बीमार बच्चों को इमरजेंसी में लेकर आते हुए के हैं, ना कि जाते हुए के। – डॉ. समरवीर सिंह, पीएमओ, जिला अस्पताल, धौलपुर