देहरादून: ऊर्जा निगम गंभीर आर्थिक संकट के दौर में पहुंच गया है। एक-एक दिन की बिजली खरीदने में निगम के पसीने छूट रहे हैं। जबकि दावा महीनों तक महंगी बिजली खरीदने का किया जा रहा था। इस आर्थिक संकट से निकलने और बाजार से नगद बिजली खरीदने के लिए बजट की जुगाड़ में यूपीसीएल का पूरा मैनेजमेंट शुक्रवार को शासन में दौड़ता नजर आया। जल संस्थान को यूपीसीएल के 52 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। इससे यूपीसीएल चार से पांच दिन की बिजली खरीद का जुगाड़ कर सकेगा। ये पैसा न मिलने पर यूपीसीएल को फिर बैंकों से ओवरड्रा करना होगा या एफडी तुड़वानी होंगी। ओवरड्रा की लिमिट तेजी से खत्म हो जा रही है और यूपीसीएल के पास नगद पैसा भी बेहद कम बचा है।
ऐसे में शुक्रवार को ऐसे बिल को खंगाला गया, जिससे कुछ राहत मिल सकती है। सबसे बड़ा बकाया जल संस्थान पर 52 करोड़ का निकला। इसे लेकर पहले इंजीनियरों व वित्त विभाग के अफसरों की एक टीम शासन को दौड़ाई गई। दोपहर बाद एमडी व निदेशक प्रोजेक्ट भी शासन में दौड़ते नजर आए। इस संबंध में यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने कहा कि बाजार से अतिरिक्त बिजली खरीदने से वित्तीय स्थिति चुनौतीपूर्ण हो चुकी है। इसके चलते लंबित बिलों की वसूली के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यालय की ओर से सभी मुख्य अभियंताओं, अधीक्षण अभियंताओं समेत डिवीजनों के अधिशासी अभियंताओं को निर्देश जारी किए गए कि अधिक से अधिक राजस्व वसूली की जाए। उद्योगों, फर्नेश उद्योगों से बिल वसूला जाए। जरूरत पड़ने पर एडवांस में भी वसूली करने से परहेज न किया जाए। इसे लेकर दिन भर प्रदेश भर में दिन भर डिवीजन कार्यालयों के फोन घनघनाते रहे। निदेशक ऑपरेशन एमएल प्रसाद को एक एक चीफ, एसई से संपर्क साधने का जिम्मा दिया गया।