देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय उत्तराखंड मे ज़ीरो टोलरेंस की धामी सरकार लगातार भरष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर प्रहार कर रही है। एक तरफ जहां जनता की शिकायतों पर एक्शन लेकर सरकार त्वरित समाधान कर रही है वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों पर भी नकेल कस रही है जिसका जीता जागता उदाहरण पिछले दिनो देखने को मिला जब धाकड़ धामी खुद RTO दफ्तर चेकिंग के लिए पहुँच गए और RTO को सस्पेंड कर दिया । भरष्टाचार पर सीधा प्रहार करते हुए सरकार अब आयुर्वेद विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार, गलत भर्तियों और अनियमितताओं की जांच भी विजिलेन्स से कराएगी ।
आपको बता दें उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने, माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन न करने, बायोमेडिकल संकाय व संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने, विवि में पद न होते हुए भी संस्कृत शिक्षकों को प्रमोशन एवं एसीपी का भुगतान करने, बिना शासन की अनुमति बार-बार विवि की ओर से विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने और रोक लगाने, विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विवि की ओर से गठित समितियों के गठन की विस्तृत सूचना शासन को न देने के साथ ही पीआरडी के माध्यम से 60 से अधिक युवाओं को भर्ती करने का आरोप है। आपको ये भी बता दें की घोटालों के वक़्त विभाग के मंत्री रहे डॉ. हरक सिंह रावत थे जिनहोने विधान सभा चुनाव से पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया था । शासन ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। सचिव कार्मिक शैलेश बगोली ने विजिलेंस जांच आदेश जारी होने की पुष्टि की है।
विजिलेंस जांच के शिकंजे में 2017 से लेकर 2022 के बीच कार्यरत रहे कई बड़े अधिकारी भी आ सकते हैं। हालांकि विजिलेंस जांच शुरू होने के बाद ही इस राज से पर्दा उठ सकेगा। आयुर्वेद विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रही विजिलेंस जांच की आंच विभाग के मंत्री रहे डॉ. हरक सिंह रावत तक भी पहुंच सकती है। सूत्रों के मुताबिक, उनके कार्यकाल में विभाग में तमाम नियुक्तियां हुईं। आयुर्वेद विवि में भी उनके कार्यकाल में नियुक्तियां हुई हैं। अब यह जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि कब कौन सी भर्ती सही हुई कौन सी नियमों के खिलाफ।
एक तरफ जहां बीजेपी इस जांच को सही बता रही है और ज़ीरो टोलरेंस की राह पर चलना बता रही है वहीं विपक्षी दल भी इस जांच को सटीक मान रहे हैं लेकिन कांग्रेस साथ ही साथ सहकारिता विभाग और NH 74 मे संलिप्त आरोपियों के खिलाफ भी कार्रवाई की बात कर रही है कांग्रेस का कहना है बीजेपी अगर इतनी ईमानदार है तो सहकारिता मंत्री से भी इस्तीफा लेना चाहिए। एक तरफ जहां क्षेत्रीय पार्टी यूकेडी मांग कर रही है की जब से उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय बना है जांच तब से शुरू होनी चाहिए 3 सालों की जांच की बात कहीं न कहीं दुश्मनी निकालने का जरिया है। वहीं आम आदमी पार्टी का मानना है की बीजेपी और भरष्टाचार का एडी चोटी का साथ है आप का कहना है की बीजेपी लगातार पहले भरष्टाचार को बढ़ावा देती है फिर जांच कराती है। अब देखने वाली बात ये होगी की धाकड़ धामी के इस फैसले से जांच मे क्या निकलकर आता है और कौन कौन इस जांच की आंच मे झुलसता है । आपको बता दें बीजेपी पहले साफ कर चुकी थी की उत्तराखंड भरष्टाचार मुक्त होगा और अब भर्श्टचारियों पर कार्रवाई जारी है ….