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‘चार-धाम यात्रा’ मे आए इन तीर्थयात्रियों पर पीएम ने ज़ाहिर की नाराजगी, कर दी ये अपील…

नई दिल्ली उत्तराखंड में चल रही ‘चार-धाम यात्रा’ के दौरान कुछ तीर्थयात्रियों द्वारा फैलाई जा रही गंदगी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लोगों से इन तीर्थ स्थलों की गरिमा बनाए रखने की अपील की. अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में, प्रधान मंत्री ने कहा कि ‘चार-धाम’ और विशेष रूप से केदारनाथ में हर दिन हजारों भक्त पहुंच रहे हैं. लोग अपनी ‘चार-धाम यात्रा’ के सुखद अनुभव साझा कर रहे हैं. लेकिन, मैंने यह भी देखा है कि केदारनाथ में कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही गंदगी से श्रद्धालु दुखी हैं. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं.

स्वच्छता करने वालों की तारीफ 

प्रधानमंत्री ने कहा कि पवित्र यात्रा पर जाएं, वहां गंदगी का ढेर हो, ये ठीक नहीं है. उन्होंने कहा, शिकायतों के बीच कई अच्छी तस्वीरें भी मिल रही हैं. कई भक्त ऐसे भी हैं जो बाबा केदार के धाम में पूजा करने के साथ-साथ स्वच्छता की भी साधना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोई अपने ठहरने के स्थान के पास सफाई कर रहा है तो कोई यात्रा मार्ग से कूड़ा-कचरा साफ कर रहा है.

तीर्थ सेवा के बिना तीर्थयात्रा अधूरी  

स्वच्छ भारत की अभियान टीम के साथ कई संस्थाएं और स्वयंसेवी संगठन भी वहां काम कर रहे हैं. जिस तरह तीर्थयात्रा महत्वपूर्ण होती है, उतनी ही महत्वपूर्ण ‘तीर्थ सेवा’ भी होती है. मैं तो यह कहूंगा कि ‘तीर्थ सेवा’ के बिना तीर्थयात्रा अधूरी है. देवभूमि उत्तराखंड में कई लोग ऐसे हैं जो स्वच्छता और सेवा की ‘साधना’ में लगे हुए हैं. प्रधानमंत्री ने अपील की कि हम जहां भी जाएं, इन तीर्थ स्थलों की गरिमा बनाए रखें. उन्होंने कहा, पवित्रता, स्वच्छता और एक पवित्र वातावरण, हमें इन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए और इसके लिए यह जरूरी है कि हम स्वच्छता के संकल्प का पालन करें.

पर्यावरण दिवस पर खुद को करें प्रेरित 

पीएम मोदी ने कहा, कुछ दिनों बाद दुनिया 5 जून को ‘पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाएगी. हमें अपने आस-पास सकारात्मक पर्यावरण अभियान चलाना चाहिए और यह कभी न खत्म होने वाला कार्य है. इस बार आप सबको साथ लेकर चलना चाहिए, स्वच्छता और वृक्षारोपण के लिए जरूर कुछ प्रयास करना चाहिए. एक पेड़ खुद लगाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें.

देश की विविधता पर बोले पीएम 

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश कई भाषाओं, लिपियों और बोलियों का एक समृद्ध खजाना है. विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग पोशाक, व्यंजन और संस्कृति है, जो हमारी पहचान है. एक राष्ट्र के रूप में यह विविधता हमें मजबूत करती है और हमें एकजुट रखती है.

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Author: nirbhiknazar

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