देहरादून: गुटबाजी और अंतर्कलह के चलते उत्तराखंड कांग्रेस नहीं उबर पा रही है ये गुटबाजी का ही नतीजा था की उत्तराखंड विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस को 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा और हरीश रावत, गणेश गोदियाल, जैसे बड़े चेहरों को भी चित होना पड़ा, उसके बाद भी कांग्रेस मे अंतर्कलह और नाराजगी खत्म नहीं हुई जब कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के नामों पर मुहर लगाई तो कई दिग्गज कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया और पार्टी मे नाराजगी दर्ज कराई यहाँ तक की विधायकों ने मीटिंग तक की और सोशल मीडिया पर ये अफवाह फैली की कांग्रेस के दरजनभर विधायक बीजेपी मे जा रहे हैं बात यहीं तक सीमित नहीं थी उसके ठीक बाद चंपावत उपचुनाव होना था और कांग्रेसी विधायक हरीश धामी ने सीएम धामी के लिए अपनी सीट तक छोड़ने की बात कह डाली और नेताप्रतिपक्ष न बनाए जाने से हरीश धामी इतना नाराज़ हुए की धामी ने ऐलान कर दिया की वो कभी ज़िंदगी मे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे । उसके बाद जब चंपावत उपचुनाव की सुगबुगाहट तेज हुई तो बीजेपी ने एक तरफ जहां जीतने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया वहीं कांग्रेस के नेता चंपावत से नदारद दिखे 30 स्टारप्रचारको की सूची तो जारी की गई लेकिन कांग्रेस के दिग्गज स्टार्प्रचारक नदारद ही रहे जिसका नतीजा ये निकला की सीएम धामी के सामने खड़ी कांग्रेस की निर्मला गहटोडी की जमानत भी जब्त हो गई । और जानकारों के मुताबिक ये अंतर्कलह का ही नतीजा था की गहतोड़ी की इतनी बुरी हार हुई।
अब खबर ये है की कांग्रेस हाइकमान ने कांग्रेस के सभी विधायकों को दिल्ली तलब कर लिया गया है हालांकि कांग्रेस मीडिया प्रभारी इस बात से अंजान हैं लेकिन कई विधायकों ने इसकी पुष्टि की है और दिल्ली पहुंचने की बात कही है। सूत्रों के मुताबिक विधायक हरीश धामी ने दिल्ली जाने से इंकार कर दिया है। आपको बता दें कि पहले ही हरीश धामी ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उन्होंने ऐलान कर दिया था कि अगर वो अगला चुनाव लड़ेंगे तो कांग्रेस के टिकट पर नहीं लड़ेंगे। वहीं अभी ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि विधायकों को दिल्ली क्यों बुलाया गया है। हालांकि माना जा रहा है संगठन में बदलाव को लेकर कोई चर्चा हो सकती है। प्रदेश कार्रकारिणी का भी गठन होना है। वहीं राष्ट्रपति चुनावों की भी आहट है। ऐसे में पार्टी आलाकमान इन सभी मुद्दों पर विधायकों से चर्चा कर सकता है। कारण ये भी हो सकता है की सूबे मे सिमटती हुई कांग्रेस को देख आलाकमान चिंतित हुआ हो और विधायकों के मतभेद मिटाने और पार्टी को मजबूत बनाने की रणनीति पर चर्चा हो। वहीं बीजेपी का कहना है की कांग्रेस मे उत्तराखंड मे कांग्रेस गुटों मे बंट चुकी है अब कांग्रेस को चाहे हाइकमान तलब करे या कोई और कांग्रेस दोबारा लौटकर उत्तराखंड मे नही आ सकती।