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जानिए कौन हैं द्रौपदी मुर्मू जिनको उम्मीदवार बनाते ही मोदी ने जीत लिया राष्ट्रपति चुनाव

नई दिल्ली: NDA राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ही झटके में महिला और आदिवासी दांव खेलकर विपक्ष को चारों खाने चित कर दिया है। ओडिशा मूल की द्रौपदी मुर्मू का समर्थन नवीन पटनायक की बीजू जनता दल यानी BJD भी करेगी और संभव है कि कुछ और तटस्थ दलों के साथ साथ कई विपक्षी दल भी समर्थन में उतर आएं। दरअसल राष्ट्रपति चुनाव में NDA जीत से 13 हज़ार वोट से पीछे थे लिहाजा नवीन पटनायक और जगनमोहन रेड्डी जैसे नेताओं के समर्थन की दरकार थी। अकेले पटनायक की पार्टी BJD के खाते में करीब 30 हज़ार वोट हैं यानी जीत दिलाने के लिए काफी। पटनायक विपक्षी दलों की बैठकों से दूरी बनाए थे लेकिन NDA को भी उम्मीदवार देखकर ही समर्थन की बात कह चुके थे। ऐसे में मोदी-शाह ने ओडिशा मूल की द्रौपदी मुर्मू के बहाने पटनायक को तो साध ही लिया है बल्कि कई तटस्थ और विपक्षी दलों के लिए भी समर्थन की भी खोल दी है।

मुख्यमंत्री पटनायक का ट्वीट सारी सियासी पटकथा कह रहा है।

जानिए कौन हैं NDA उम्मीदवार दौपद्री मुर्मू?

मुर्मू बीजद और बीजेपी गठबंधन की ओडिशा सरकार में मंत्री रह चुकी हैं और झारखंड की पूर्व राज्यपाल हैं। आदिवासी जातीय समूह संथाल परिवार से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की नौवीं और पहली महिला राज्यपाल रहीं हैं। झारखंड की राज्यपाल बनने से पहले द्रौपदी मुर्मू भाजपा सदस्य थी और साल 2000 में झारखंड गठन के बाद पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली राज्य की पहली राज्यपाल हैं।

ज्ञात हो कि द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की बीजद और बीजेपी गठबंधन सरकार में 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहीं और 6 अगस्त, 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री का जिम्मा संभाला।

द्रौपदी मुर्मू ने अपना करिअर एक शिक्षक के रूप में शुरु किया था और बाद में 1997 में पार्षद का चुनाव जीतकर ओड़िया  राजनीति में एंट्री की। वे मयूरभंज (2000 और 2009) के रायरंगपुर से भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक चुनी गई थी और पार्टी में कई प्रमुख पदों पर भी कार्य किया। द्रौपदी मुर्मू 2013-2015 तक भाजपा एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहीं।

द्रौपदी मुर्मू का नाम क्यों है मोदी का सियासी मास्टरस्ट्रोक?

द्रौपदी मुर्मू को NDA का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर मोदी-शाह ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। दरअसल संघ और भाजपा काफी समय से आदिवासियों पर फोकस कर रहे हैं और चुनावी लड़ाईयों में भाजपा इसका फायदा उठाती भी रही है। लेकिन छत्तीसगढ़ हाथ से निकलना और कई आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा की कमजोरी दिखना मोदी-शाह के लिए चिंता का सबब रहा है। अब जब

इस साल गुजरात में चुनाव हैं जहां खासे ट्राइबल वोटर्स हैं और अगले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं, जहां आदिवासियों की अच्छी खासी संख्या है। इसलिए ST वोटर्स भाजपा के योजना के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। जाहिर है 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर प्रधानमंत्री मोदी इस तबके की सहानुभूति हासिल करना चाहेंगे ही। साथ ही मुर्मू के जरिए महिला वोटर्स को भी मोदी नए सिरे से आकर्षित कर पाएंगे।

क्या विपक्षी कैम्प से यशवंत सिन्हा दे पाएंगे कड़ी चुनौती?

बंगाल सीएम ममता बनर्जी की तमाम कसरत के बावजूद विपक्षी कैम्प को पहली, दूसरी और तीसरी पसंद के इंकार के बाथ चौथी चॉइस के तौर पर जब शरद पंवार, फारुख अब्दुल्ला, गोपालकृष्ण गांधी ने हाथ खड़े कर दिए तो यशवंत सिन्हा को उतारना पड़ा है। सवाल है कि क्या राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों की ओर से संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारे गए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा कड़ी चुनौती पेश कर पाएंगे? ज़ाहिर है 29 जून को नामांकन का अंतिम दिन है और फिर 18 जुलाई को वोटिंग है जिसमें साफ होगा कि मोदी के मास्टरस्ट्रोक को ममता की सियासी मेहनत कितना मुकाबला दे पाई।

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Author: nirbhiknazar

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