शिवगंगा: भारत में नकली शराब( fake liquor) के बिजनेस काफी बड़ा है। अगर आपको लगता है कि हर जिस बोतल को आप खरीदकर लाए हैं, वो असली ब्रांड है, तो इसकी गारंटी नहीं। देशभर में नकली शराब का कारोबार हो रहा है। उदाहरण के तौर पर तमिलनाडु पुलिस ने शिवगंगा ज़िले के मदमपट्टी के पास 3 लोगों को गिरफ्तार करके एक नकली शराब फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने लोकप्रिय शराब ब्रांडों के नाम की नकली स्टिकर वाली 2,000 से अधिक खाली शराब की बोतलें और शराब बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीन को जब्त किया।
केमिकल से बनती है नकली शराब
दिल्ली का उदाहरण देखिए। कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस ने नकली शराब की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) नॉर्थ ईस्ट के मुताबिक, पुलिस की एक टीम न्यू उस्मानपुर इलाके में गश्त पर थी। उस समय ओल्ड गढ़ी मेंदु गांव में मस्जिद के पास शराब जैसी दुर्गंध आई। पड़ताल करने पर नकली शराब की फैक्ट्री का पता चला। यहां एक घर से लगभग 220 लीटर अवैध शराब से भरा एक प्लास्टिक ड्रम, 50 सीलबंद शराब की क्वार्टर बॉटल्स और दो प्लास्टिक कंटेनर 64 किलोग्राम केमिकल बरामद किया गया था।
तमिलनाडु पुलिस ने शिवगंगा ज़िले के मदमपट्टी के पास 3 लोगों को गिरफ्तार किया और एक नकली शराब फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने लोकप्रिय शराब ब्रांडों के नाम की नकली स्टिकर वाली 2,000 से अधिक खाली शराब की बोतलें और शराब बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीन को जब्त किया।(07.07) pic.twitter.com/rXLBDCeWv9
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 7, 2022
यह भी जानें
शराब के मार्केट पर रिसर्च करने वाली संस्था यूरोमेंटल इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में शराब का बिजनेस डबल हो चुका है। अब 20 से 25 वर्ष तक के युवाओें को भी व्हिस्की और वोदका भाने लगी है। कोरोनाकाल के बाद पंजाब में पीने का जो शौक चला, उसने प्रति व्यक्ति 7.9 लीटर तक पी ली थी। यानी पंजाब में भारत में दूसरे नंबर का राज्य था यह।
असली-नकली शराब ऐसे पहचानें
दिल्ली एक्साइज डिपार्टमेंट ने असली-नकली शराब की पहचान के लिए एक व्यवस्था की है। हर शराब की बोतल पर बार कोड लिखा होता है। इसमें एक खास नंबर होता है। इसके जरिये आप असली-नकली शराब का पता कर सकते हैं। इसके लिए delhiexcise.gov.in/portal/liqorsalecheck पर क्लिक करें।
ऐसे बना लेते हैं नकली शराब
नकली शराब कारोबारी स्प्रिट में गर्म पानी मिलाते हैं। फिर उसे 2-3 घंटे तक ठंडा करने के लिए छोड़ देते हैं। इसके बाद गेरू कलर मिलाकर बोतलों में पैक करके ब्रांड कंपनियों के लेबल चिपका देते हैं। इनमें फेक होलोग्राम का भी इस्तेमाल करते हैं।