देहरादून: उत्तराखंड में मानसून को दस्तक दिए करीब एक माह हो चुका है। इस दौरान वर्षा का पैटर्न बदला-बदला नजर आ रहा है। कहीं सामान्य से कम तो कहीं-कही दोगुना अधिक वर्षा रिकार्ड की जा रही है। इसके अलावा हो रही वर्षा ने मौसम विज्ञानियों की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञ मानसून के इस व्यवहार को अरब सागर से उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ के अनियमित प्रवाह को मान रहे हैं।
एक माह के भीतर प्रदेशभर में सामान्य से 10 प्रतिशत कम वर्षा
उत्तराखंड में एक माह के भीतर प्रदेशभर में सामान्य से 10 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। जबकि, इसमें कुछ जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से दोगुना से भी अधिक वर्षा हुई। वहीं कुछ जिलों में बादल सामान्य से आधा भी नहीं बरसे। इसके अलावा देहरादून समेत आसपास के क्षेत्रों में पाकेट में वर्षा होने से भी विज्ञानी हैरान हैं। एक से दो किलोमीटर में वर्षा और धूप का पैटर्न बना हुआ है।
बागेश्वर में सबसे ज्यादा वर्षा दर्ज
एक माह की बात करें तो बागेश्वर में सबसे ज्यादा वर्षा दर्ज की गई। यहां सामान्य से तीन गुना अधिक वर्षा हुई। जबकि, नैनीताल में सबसे कम वर्षा हुई। इसके अलावा ऊधमसिंह नगर, चंपावत, अल्मोड़ा, हरिद्वार और पौड़ी में भी बेहद कम वर्षा रिकार्ड की गई। चमोली में दो गुनी वर्षा हुई और देहरादून, टिहरी, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में वर्षा सामान्य रही।
वर्षा का अनियमित क्रम अच्छा संकेत नहीं
मौसम विज्ञानी रोहित थपलियाल ने बताया कि वर्षा का अनियमित क्रम अच्छा संकेत नहीं है। ऐसे में पर्वतीय क्षेत्रों में अतिवृष्टि का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही कहीं-कहीं सूखे के हालात पैदा हो सकते हैं। पाकेट में वर्षा होना अरब सागर से उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ के प्रवाह में अनियमितता है। जबकि, चक्रवाती प्रवाह भी उत्तराखंड में सक्रिय नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में जुलाई में आमतौर पर 375 मिलीमीटर वर्षा होती है। जबकि, इस बार अब तक 345 मिलीमीटर वर्षा हुई है। जो कि सामान्य से करीब 10 प्रतिशत कम है।