देहरादून: ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर उत्तराखंड बीजेपी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का हालिया बयान चर्चा में है. आजतक के अंकित शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कह दिया है कि जिस घर में तिरंगा लहराता हुआ नहीं दिखाई देगा, उस घर की तरफ विश्वास की नज़र से नहीं देखा जा सकता.
एक ओर देश की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर केंद्र सरकार लोगों को अपने-अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, तो वहीं उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के बयान से ऐसा संदेश जा रहा है कि जिन लोगों के घर तिरंगा नहीं होगा, उनकी देशभक्ति सवालों के घेरे में आ जाएगी. उन्होंने कहा,
“जिस घर में तिरंगा नहीं होगा, उस पर देश विश्वास नहीं कर सकता है. तिरंगा लगाने में किसको परेशानी हो सकती है?”
आम आदमी पार्टी बोली- किसी के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते
उनके इस बयान पर विवाद शुरू हो गया है. इस पर आम आदमी पार्टी (AAP) उत्तराखंड की प्रदेश उपाध्यक्ष उमा सिसोदिया ने कहा कि हमारे प्रदेश के दूर-दराज के गांव में जहां लोग राष्ट्र ध्वज फहराना चाहते हैं, वहां तक तिरंगा पहुंचता नहीं और आरएसएस मुख्यालय पर झंडा नहीं फहराया जाता, उस पर क्या कहेंगे.
उमा सिसोदिया ने कहा कि महेंद्र भट्ट को इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा,
“आप किसी के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते क्योंकि हर हिंदुस्तानी देशभक्त है और हर हिंदुस्तानी के दिल में तिरंगा है.”
कांग्रेस ने भी संघ पर साधा निशाना
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने भी संघ का नाम लेते हुए बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा,
“संघ परिवार ने 51 साल तक अपने कार्यालय पर झंडा नहीं फहराया, तो संघ परिवार पर भरोसा नहीं करना चाहिए.”
माहरा ने कहा कि इनको ये समझ में आ गया है कि भारत के झंडे के नीचे और गांधी के पीछे चल कर ही ये सुरक्षित हैं.
देश की आज़ादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं. इस मौके पर केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत सरकार ने लोगों से 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घर पर तिरंगा फहराने की अपील की है. हालांकि, इस अभियान की आड़ में सरकारी मनमानी की खबरें भी आ रही हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों से ये शिकायतें आ रही हैं कि टारगेट पूरा करने के नाम पर तिरंगा लोगों पर थोपा जा रहा है. कहीं तिरंगे को राशन के लिए शर्त बनाया जा रहा है, तो कहीं सरकारी स्कूलों के शिक्षक अपनी तनख्वाह से झंडा खरीदने पर मजबूर हैं. और कुछ विभागों में तो झंडे देने के नाम पर तनख्वाह में से ही पैसे काट लिए जा रहे हैं.