शाहजहांपुर: : सांप दिखते ही पूर्व प्रधान देवेंद्र डरते नहीं, पकड़ने दौड़ते थे। इस बार पड़ोसी के घर दिखा तो उसका मुंह पकड़कर करीब डेढ़ घंटा खेलते रहे। कभी खुद तो कभी बच्चों के गले में उसे लपेटकर फोटो खिंचवा रहे थे। अचानक पकड़ ढीली पड़ी और सांप ने उन्हें डस लिया। हिम्मत अलग बात मगर, इस बार वह लापरवाही कर बैठे। अस्पताल जाने के बजाय दो दिन घर में ही उपचार करते रहे जोकि जहर का असर मारने के लिए पर्याप्त नहीं था। शनिवार को उनकी मृत्यु हो गई। मरुआझाला गांव के लोग बताते हैं कि पूर्व प्रधान वीरेंद्र ने करीब 10-12 वर्ष पहले घर में निकले सांप पकड़ने की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे यह उनका शौक जैसा बन गया। गांव में किसी के घर भी सांप निकलता, वह मुंह पकड़कर जंगल में छोड़ आते थे। गुरुवार को पड़ोसी रविंद्र के घर में भी सांप होने की सूचना पर वह पहुंच गए।
हर बार की तरह इस बार भी उन्हें सांप का मुंह पकड़ लिया। उसकी लंबाई करीब एक मीटर थी मगर, बिना डरे वह उससे खेलते रहे। कभी ग्रामीणों की ओर ले जाकर डराया तो कभी बच्चों को पास बैठाकर उसे गले में पूछ वाला हिस्सा डाल दिया। कई फोटो खिंचाए, वीडियो बनवाई। करीब डेढ़ घंटा तक यह सब चला, अचानक पकड़ ढीली हुई तो सांप ने उनके हाथ में डस में लिया। वीरेंद्र तुरंत घर पहुंचे और देसी उपचार करने लगे। उन्होंने निगरानी के सांप को एक बर्तन के नीचे ढक दिया था। उसी शाम को सांप मर गया। शुक्रवार रात वीरेंद्र की हालत भी बिगड़ने लगी थी, इसके बावजूद वह अस्पताल नहीं गए। शनिवार करीब साढ़े छह बजे उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी संतोष ने बताया कि वह कई सांप पकड़ चुके थे, इस बार दुर्घटना हो गई।
प्रतिक्रिया करता है सांप
वन विभाग के एसडीओ दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सांप तभी डसता है, जब उस पर कोई दबाव पड़े। यदि उसे खतरा महसूस नहीं होता, तो नहीं काटता है। अनावश्यक परेशान करने पर वह बचाव में डसता है। वीरेंद्र के मामले में यही हुआ है।
सांप काटे तो ऐसे करें आरंभिक उपचार
राजकीय मेडिकल के फिजीशियन डा. एमएल अग्रवाल ने बताया कि 80 प्रतिशत सांप जहरीले नहीं होते हैं। अधिकतर में मृत्यु का कारण घबराहट होता है। यदि सांप काट ले तो अंग को ज्यादा हिलाएं नहीं, तुरंत उस स्थान को कसकर बांध दें। जल्द से जल्द सरकारी अस्पताल पहुंचें और वैक्सीन लगवाएं।