देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हुए समय-समय पर राज्य सरकार की कार्य प्रणाली पर निशाना साधते रहते हैं. लेकिन, हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के एक फैसले की जमकर तारीफ की है. अपने सोशल मीडिया पेज पर उन्होंने सीएम धामी की तारीफ करते हुए लिखा है कि.
एल धार, #धारचूला की छोटी पहाड़ी का वर्णावत के तर्ज पर ट्रीटमेंट करने का जो फैसला मुख्यमंत्री जी ने किया है, मैं उसका स्वागत करता हूं, उसके लिए उनको धन्यवाद देता हूं। धारचूला के अस्तित्व..https://t.co/SqzLzVeSHW.. क्योंकि काली तो हमेशा जलयुक्त रहेंगी।@pushkardhami @dhamiiharish pic.twitter.com/smnnbP7Q8h
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) September 12, 2022
धारचूला की छोटी पहाड़ी का वरुणावत की तर्ज पर ट्रीटमेंट करने का जो फैसला मुख्यमंत्री जी ने किया है, मैं उसका स्वागत करता हूं और उसके लिए उनको धन्यवाद देता हूं. धारचूला के अस्तित्व को बचाने के लिए बहुत आवश्यक है कि उसका वैज्ञानिक तरीके से ट्रीटमेंट किया जाए और ग्वाल गांव के विषय में भी कुछ गंभीरता से चिंतन किया जाए और खोतिला में बावजूद हमारे कार्यकाल में तटबंध बनने के बाद कैसे पानी भर गया, उसका भी समाधान निकालना चाहिए. क्योंकि काली तो हमेशा जलयुक्त रहेंगी. – हरीश रावत
उत्तराखंड में चीन और नेपाल बॉर्डर से सटी अंतिम तहसील मुख्यालय धारचूला कभी भी बड़ी आपदा की चपेट में आ सकती है. क्योंकि मुख्यालय के ठीक ऊपर एलधारा की पहाड़ी बुरी तरह दरक गई है. धारचूला में भले ही एलधारा में चाइना बॉर्डर को जोड़ने वाली रोड खुल गई हो, लेकिन यहां खतरा अभी भी बना हुआ है. हालात ये हैं कि एलधारा की पहाड़ी खासी कमजोर हो गई है, जो कभी भी भरभराकर गिर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो धारचूला मुख्यालय को भारी नुकसान हो सकता है.
बीते दिनों एलधारा में हुए भारी लैंडस्लाइड ने जहां हफ्ते भर तक बॉर्डर की लाइफ लाइन को जाम रखा, वहीं पहाड़ी से गिरे बोल्डरों ने आधा दर्जन मकानों को पूरी तरह जमींदोज कर डाला. यही नहीं दो दर्जन से अधिक मकानों और दुकानों को भी लैंडस्लाइड ने नुकसान पहुंचाया. एलधारा की पहाड़ी धारचूला के ठीक ऊपरी इलाके में है. ऐसे में इस पहाड़ी में होने वाली हल्की सी हलचल भी धारचूला मुख्यालय पर भारी पड़ सकती है.