देहरादून: उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग चिकित्सा के क्षेत्र को लेकर बड़ा प्लान तैयार कर रहा है. हेल्थ डिपॉर्टमेन्ट अब अंदरूनी इलाकों में “फर्स्ट टाइम रिस्पॉन्डर” तैयार करने की प्लानिंग में है. जो पहाड़ों में किसी भी स्थिति में तुरन्त राहत के लिए पहुंच सकेगा. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में चिकित्सा को लेकर हमेशा समस्याएं बनी रहती हैं. यहां मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या और अधिक है. राज्य के अलग-अलग इलाकों में पालकी से मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की तस्वींरे आये दिन खबरों में रहती हैं. हाला ही में ऐसा ही कुछ नजारा अल्मोड़ा में भी दिखा. जहां मरीज को पालकी से अस्पताल ले जाया जा रहा था. यही वजह है कि अब पहाड़ी इलाकों में इस तरह के मामलों को कम करने के लिए हेल्थ डिपॉर्टमेन्ट प्लान तैयार कर रहा है. स्वास्थ्य विभाग फौरी तौर पर मरीजों को राहत देने की तैयारी में है. जिसमें फर्स्ट टाइम रिस्पॉन्डर यानी जो सूचना मिलते ही मौके पर इमरजेन्सी किट के साथ पहुंच सके, ऐसे लोगों की टीम बनाने की तैयारी की जा रही है.
गोल्डन ऑवर पर होगा काम
पूरे प्लान को लेकर प्रभारी सचिव राजेश कुमार का कहना है कि दूरस्थ इलाकों में चिकित्सा व्यवस्था की बहुत समस्या बहुत है. इसे आसानी से सुधार पाना भी विषम भौगोलिक परिस्थियों को देखते हुए मुश्किल है. ऐसे में 2 विकल्प तलाशे जा रहे हैं. पहला हेली सेवा की लैंडिंग के लिए व्यव्स्था और दूसरा गांव में ही फर्स्ट टाइम रिस्पांडर तैयार करना. जिसपर हेल्थ डिपॉर्टमेन्ट के सभी अधिकारियों के साथ रोडमैप बनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इसके लिए टीम गोल्डन ऑवर पर काम करेगी यानी 1 घंटे के अंदर जान बचाने के लिए किये जाने वाले उपाय का प्रयास किया जाएगा.
मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को दी जाएगी प्राथमिकता
बताया गया “फर्स्ट टाइम रिस्पांडर” को लेकर सवास्य विभाग बेहद सरल प्लान तैयार कर रहा है. प्लान के अनुसार फर्स्ट टाइम रिस्पांडर को ट्रेनिंग दी जाएगी. यह गांव का ही कोई व्यक्ति हो सकता है. मेडिकल फील्ड से जुड़े व्यक्तियों को प्राथमिकता दिया जाएगा. प्लान के तहत गांव के ही किसी व्यक्ति को फर्स्ट टाइम रिस्पांडर बनाया जाएगा. जो सूचना पर तत्काल अपनी किट के साथ मरीज के घर पहुंचेगा. जहां मरीज को प्राथमिक उपचार दिया जाएगा. अब देखने वाली बात यह होगी कि स्वास्थ्य विभाग का यह प्लान कब तक तैयार होगा. इसे जमीन पर कैसे लागू किया जाएगा. अगर यह प्लान सही से लागू किया गया तो गांवों में गोल्डन ऑवर में ही मरीजों को सुविधा मिलने से कई जान बच सकती हैं.