देहरादून: उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के अब काले कारनामे सामने आने लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2016 में पुलकित के खिलाफ हरिद्वार में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। वहीं अंकिता के पिता का आरोप है कि बेटी के लापता होने के बाद एक दिन जब वह राजस्व पुलिस चौकी पर गए तो वहां पहले से मौजूद पुलकित और उसके साथियों ने उनके साथ मारपीट का प्रयास किया।
फर्जी दस्तावेजों से लिया था BAMS में दाखिला
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पुलकित का आपराधिक इतिहास निकल कर आ रहा है। वर्ष 2016 में पुलकित ने हरिद्वार में BAMS करने के लिए एक कॉलेज में फर्जी दस्तावेज लगाए थे। जांच में खुलासा होने के बाद हरिद्वार पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। वहीं उत्तराखंड पुलिस भी पुलकित के काले कारनामों और आपराधिक इतिहास को सामने लाने के लिए उसकी कुंडली खंगाल रही है। पुलिस को भी आशंका है कि उसके खिलाफ चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं। पूरे उत्तराखंड में इस बात की भी चर्चा है कि उसके पिता और भाजपा नेता विनोद आर्य के साथ बेटा पुलकित क्यों नहीं रहता। विनोद आर्य ने भी वीडियो में इस बात का जिक्र किया था कि वह हमारे साथ नहीं रहता है।
अंकिता भण्डारी हत्या प्रकरण में रिसॉर्ट से साक्ष्य मिटाये जाने की अफवाहें असत्य हैं।
अंकिता भण्डारी हत्या प्रकरण हेतु गठित SIT के सदस्य अपर पुलिस अधीक्षक, कोटद्वार श्री शेखर सुयाल द्वारा दी गयी बाइट। सभी साक्ष्य सुरक्षित हैं। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। pic.twitter.com/y9luSWruYS
— Ashok Kumar IPS (@AshokKumar_IPS) September 25, 2022
कोई भी साक्ष्य नष्ट नहीं हुआ हैः उत्तराखंड पुलिस
उत्तराखंड के कोटद्वार क्षेत्र के अपर पुलिस अधीक्षक शेखर सुयाल ने अपना एक वीडियो बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि पीड़ित परिवार और कुछ लोगों का आरोप है कि रिसॉर्ट में साक्ष्य मिटाने के लिए तोड़फोड़ की है। इस पर कहा है कि मैं आश्वस्त करता हूं कि 22 सितंबर को पुलिस टीम ने रिसॉर्ट में जाकर छानबीन की है। वहां पूरे परिसर की वीडियोग्राफी कराई गई है। मामले से जुड़ा कोई भी साक्ष्य नष्ट नहीं किया गया है। जिस कमरे में अंकिता रहती थी, वहां भी गहनता से छानबीन कर सबूत जुटाए गए हैं। अगले दिन 23 सितंबर को भी पुलिस और जांच अधिकारी मौके पर गए थे। पुलिस अधिकारी ने कहा है कि उनके पास पर्याप्त इलैक्ट्रॉनिक और वैज्ञानिक साक्ष्य हैं, जो अपराधियों को अंतिम अंजाम तक पहुंचाएंगे।