देहरादून: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन 24 सितंबर से शुरू हुए थे और 30 सितंबर नामांकन के अंतिम तिथि है लेकिन अभी तक किसी ने भी नामांकन दाखिल नहीं किया है। वहीं उत्तराखंड मे हरीश रावत समर्थक चाहते हैं की रावत भी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ें, आपको बता दें की हरीश रावत राजनीति मे कांग्रेस के धुरंधर नेताओं मे से एक माने जाते हैं वर्तमान मे हरीश रावत कांग्रेस के राष्ट्रीय राष्ट्रीय महासचिव हैं पूर्व मे वो केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं इसके अलावा पंजाब मे कांग्रेस के प्रभारी भी रह चुके हैं। हरीश समर्थकों का मानना है की हरीश रावत कांग्रेस पार्टी के लिए एक सटीक राष्ट्रीय अध्यक्ष साबित होंगे समर्थकों का कहना है की अगर राहुल गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनना चाहते तो हरीश रावत को कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालना चाहिए। हालांकि हरीश रावत चुनाव लड़ेंगे या नहीं ये अलग बात है हरीश रावत की तरफ से भी इस मामले मे अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
पहाड़ हो या मैदान, सक्रियता में हरीश रावत का नहीं मुकाबला
पर्वतीय से लेकर मैदानी क्षेत्रों में पार्टी के अन्य किसी नेता की तुलना में रावत कहीं अधिक सक्रिय हैं।
इंटरनेट मीडिया के हर प्लेटफार्म पर रावत पार्टी के भीतर अपने प्रतिद्वंद्वियों को काफी पीछे छोड़े हुए हैं।
बढ़ती उम्र के बावजूद जन सरोकारों व ज्वलंत विषयों को तेजी से उठाने और कार्यकर्त्ताओं से मेलजोल में युवा नेता भी सुस्त दिखाई पड़ते हैं।
फैन फालोइंग के साथ कार्यकर्त्ताओं के साथ संवाद कायम करने की कोशिश में उनका कोई सानी नहीं है।
हालांकि लगातार दो विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में रावत खास सियासी बाजीगरी नहीं दिखा पाए हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि पार्टी को दोनों ही बार उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने को मजबूर होना पड़ा।
कमोबेश यही हालात 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी बनते दिखाई दे रहे हैं।
प्रचार के मोर्चे पर कांग्रेस को अब भी हरदा का ही आसरा है।
प्रदेश में कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व के सामने भी यही सबसे बड़ी चुनौती भी है।
उत्तराखंड के प्रमुख क्षेत्र गढ़वाल और कुमाऊं में अच्छी पकड़।
पहाड़ी राज्य की राजनीति में सबसे पुराना चेहरा होने के कारण जनता के बीच काफी लोकप्रिय।
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए सबसे भरोसेमंद नेता।
अन्य राज्यों में भी सकंट मोचक की भूमिका निभाई।
नाम: हरीश सिंह रावत।
जन्म: 27 अप्रैल 1948 को अल्मोड़ा के मोहनरी गांव में।
शिक्षा: बीए, एलएलबी, लखनऊ विश्वविद्यालय।
रावत के नाम एक दिन का मुख्यमंत्री रहने का अनोखा रिकॉर्ड भी है। 2016 में कांग्रेस में हुई तोड़फोड़ के चलते उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा था। 25 दिन के राष्ट्रपति शासन के बाद 21 अप्रैल 2016 को एक बार फिर रावत एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बने।
हरीश रावत 15वीं लोकसभा में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री भी रह चुके हैं।
कौन लड़ सकता है चुनाव?
अब आपको बताते हैं कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कौन लड़ सकता है. कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव कोई भी कार्यकर्ता लड़ सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है. कुछ सामान्य योग्यताओं के साथ ही चुनाव में जो भी खड़ा होगा, उसे नामांकन के लिए कम से कम 10 कांग्रेस डेलीगेट्स का समर्थन हासिल होना चाहिए.
इसके नॉमिनेशन के बाद कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव अथारिटी उनके नामों को संबंधित कांग्रेस कमेटी को भेजती है. इसके बाद 7 दिनों के भीतर नाम वापस ले सकते हैं और अगर 7 दिन तक नाम वापस नहीं लेते हैं तो उन्हें चुनाव में हिस्सा लेना होगा.
कौन देता है वोट?
कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में करीब 9000 वोट हैं, जो चुनाव में हिस्सा लेंगे. हालांकि, उन लिस्ट कांग्रेस की ओर से सार्वजनिक नहीं की गई है और ना कांग्रेस की ओर ऐसा किया जाएगा. रिपोर्ट्स के अनुसार, . कांग्रेस का कहना है कि जिसे भी ये सूची देखनी है, वो प्रदेश कांग्रेस कमेटी में देखी जा सकती है लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. दरअसल, जब मनीष तिवारी ने इस लिस्ट को सार्वजनिक करने की मांग की थी तो पार्टी की ओर से मना कर दिया गया था.
ये सभी पीसीसी डेलीगेट होते हैं और पीसीसी सदस्य ही चुनाव में हिस्सा लेते हैं. बैलेट बॉक्स से लेकर बैलट पेपर छपवाने की तैयारी कर ली गई है. इसमें हर राज्य इकाइयों में चुनाव करवाए जाएंगे. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालयों पर वोट डाले जाएंगे. इनकी गिनती की जाएगी. सारे देश के राज्यों में वोटों की गिनती करके विजेता का फैसला होगा.
अशोक गहलोत के रेस से बाहर होने की खबरों के साथ सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि फिलहाल इस रेस में तीन नेताओं का नाम आगे आ गया है. इन तीन नेताओं में मुकूल वासनिक, दिग्विजय नाथ और मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम है. खबर है कि अब कांग्रेस आलाकमान इन तीन नामों से किसी एक पर फैसला कर सकती है. वहीं हरीश रावत के समर्थक चाहते हैं की हरीश रावत भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस मे शामिल हों, हरीश रावत अभी भी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं।