देहरादून: बीरोंखाल के सिमड़ी में हुए बस हादसे में मृतकों की संख्या 33 तक पहुंच गई। इनमें से वाहन चालक समेत 31 लोगों के शव खाई से निकाले गए जबकि दो ने इलाज के दौरान दम तोड़ा। इनमें से 23 की शिनाख्त कर ली गई है। 19 लोग अभी भी घायल हैं। मंगलवार देर शाम हुए हादसे के बाद धुमाकोट, रिखणीखाल की पुलिस के साथ ही एसडीआरएफ के जवान राहत और बचाव कार्य में जुट गए थे। बुधवार देर शाम तक चले राहत व बचाव कार्य के दौरान 21 घायलों को निकाल लिया गया। इनमें में दो घायलों ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया, जबकि घटनास्थल से 31 शव बरामद किए गए हैं। धुमाकोट के थानाध्यक्ष दीपक तिवारी ने इसकी पुष्टि की है। बताया कि बुधवार देर शाम रेस्क्यू अभियान रोक दिया गया है। बृहस्पतिवार को अंतिम सर्च अभियान घटनास्थल के आसपास पूर्वी नयार नदी के तट तक चलाया जाएगा। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी प्रथम दृष्टया हादसे का कारण ओवरलोडिंग मान रहे हैं।
मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिमड़ी में दुर्घटनास्थल का निरीक्षण कर मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश दिए। इस मौके पर लैंसडौन विधायक दिलीप रावत और अधिकारियों ने उन्हें राहत और बचाव कार्य की जानकारी दी। वहां से मुख्यमंत्री कोटद्वार पहुंचे जहां बेस अस्पताल में घायलों और उनके परिजनों से मुलाकात कर हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। उनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने भी अस्पताल पहुंचकर घायलों का हाल जाना।
दिव्यांशी ने दे दी मौत को मात
लालढांग से बारात लेकर पौड़ी गई बस में करीब 52 लोग शामिल थे, जिनमें तकरीबन 15 बच्चे और महिलाएं भी सवार रहे। सड़क हादसे में ग्रामीणों की मौत से गांव में कोहराम मचा हुआ है। दरअसल, जितने भी लोग बस में सवार थे, उनमें से सकुशल वापस लौटने वालों में गिने चुने लोग है। पर बरात में दूल्हे संदीप की रिश्तेदार रसूलपुर की गुड़िया और उसकी दो साल की बेटी दिव्यांशी भी बस में थी। बस में दिव्यांशी अपनी मां की गोद में थी, मगर हादसे के दौरान 500 फीट गहरी खाई में बस के गिरने के बाद भी गुड़िया ने अपनी मासूम बेटी को अपने से अलग नहीं होने दिया। वह अंतिम समय में भी उसे अपनी गोद में रही।
हादसे में गुड़िया की तो मौत हो गई, लेकिन बेटी दिव्यांशी को बचा गई। दूल्हे की कार के चालक धर्मेंद्र उपाध्याय ने बताया कि शाम लगभग 6.00 बजे की घटना के बाद जब रेस्क्यू टीम ने गुड़िया को देखा तो उसकी तो मौत हो चुकी थी, लेकिन गोद में बैठी दिव्यांशी सुरक्षित थी। करीब 11 घंटे दिव्यांशी अपनी मां की गोद में सुरक्षित रहकर नया जीवन पा गई। बताया कि वह भी यह देखकर हैरान था कि बच्ची न केवल सही सलामत है और गोद से छिटककर भी कहीं और नहीं गिरी। वरना गोद से अलग होने पर भी उसके साथ कुछ हो सकता था। हादसे के बाद बच्ची अब अपने घर पर पहुंच चुकी है। जहां वह कुछ भी नहीं समझ पा रही और बार-बार केवल मां को ही याद कर रही, लेकिन उस मासूम को यह नहीं पता कि उसे बचाने वाली उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं है।