Nirbhik Nazar

भारत में बने 4 कफ सीरप खतरनाक क्यों, विदेश में दवा बेचने के नियम क्या? 10 बड़े सवालों के जवाब

न्यूज़ डेस्क: भारत में बनी चार कफ सिरप को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अलर्ट जारी किया है. ये अलर्ट गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत और किडनी खराब होने की समस्या सामने आने के बाद जारी किया गया है. WHO के मुताबिक, ये चार कफ सिरप सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं और मुमकिन है कि गाम्बिया में हुई मौतों के पीछे ये कफ सिरप हों. WHO का कहना है कि ये कोल्ड-कफ सिरप अभी तक गाम्बिया में पाए गए हैं, लेकिन इन्फोर्मल मार्केट के जरिए इनके दूसरे देशों में भी पहुंचने की संभावना है. WHO ने इन कफ सिरप पर तुरंत रोक लगाने की सलाह दी है. WHO ने जिन चार कफ सिरप को असुरक्षित बताया है, उन्हें भारत की मेडेन फार्मास्यूटिकल (Maiden Pharmaceuticals) ने बनाया है. ये कंपनी हरियाणा की है और इसका कॉर्पोरेट ऑफिस दिल्ली में है. WHO के अलर्ट के बाद कंपनी के खिलाफ जांच शुरू हो गई है.

  1. किन चार कफ सीरप को बताया जानलेवा?

WHO ने जिन चार कफ सिरप को जानलेवा बताया है, उनमें प्रोमिथैजीन ओरल सॉल्यूशन (Promethazine Oral Solution), कोफेक्समैलिन बेबी कफ सिरप (Kofexmalin Baby Cough Syrup), मेकऑफ बेबी कफ सिरप (Makoff Baby Cough Syrup) और मैगरिप एन कोल्ड सिरप (Magrip N Cold Syrup) शामिल हैं.

  1. पर खतरनाक क्यों बताया?

WHO ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि इन चारों कफ सिरप में डाइथिलीन ग्लायकोल (Diethylene glycol) और इथिलीन ग्लायकोल (Ethylene glycol) की मात्रा जरूरत से ज्यादा पाई गई है.

डाइथिलीन ग्लायकोल और इथिलीन ग्लायकोल इंसानों के लिए जहरीला होता है और घातक हो सकता है. इसकी वजह से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब करने में दिक्कत, मानसिक स्थिति में बदलाव और गंभीर किडनी इंजरी हो सकती है, जिस कारण मौत भी हो सकती है.

WHO ने बताया कि इन चारों कफ सिरप को तब तक असुरक्षित माना जाना चाहिए, जब तक भारत की रेगुलेटरी अथॉरिटी इसका एनालिसिस नहीं कर लेती. WHO ने इनकी बिक्री पर रोक लगाने को कहा है. साथ ही ये भी कहा है कि ये बच्चों के लिए खतरनाक है और उनकी मौत भी हो सकती है.

  1. गाम्बिया में क्या हुआ है?

अफ्रीकी देश गाम्बिया के मेडिकल अधिकारियों ने जुलाई में तब अलर्ट जारी किया था, जब वहां किडनी की समस्या से दर्जनों बच्चे बीमार पड़ने लगे थे. कुछ बच्चों की मौत भी हो चुकी थी. अब तक वहां 66 बच्चों की मौत हो चुकी है.

इन मौतों में एक सा ही पैटर्न सामने आया था. और वो ये कि इन सारे बच्चों की उम्र 5 साल से कम थी और ये कफ सिरप लेने के 3 से 5 दिन बाद बीमार हो रहे थे.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गाम्बिया की हेल्थ सर्विस के डायरेक्टर मुस्तफा बिटाये ने बताया कि हाल के हफ्तों में मौतों की संख्या में कमी आई है और मेडेन फार्मास्यूटिकल के प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया गया है. लेकिन अब भी प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिक में ये बिक रही हैं.

  1. मेडेन फार्मास्यूटिकल का क्या है इतिहास?

कंपनी की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, मेडेन फार्मास्यूटिकल 1990 में शुरू हुई थी. हरियाणा में इसके तीन मैनुफैक्चरिंग प्लांट है. जबकि, इसका कॉर्पोरेट ऑफिस दिल्ली के पीतमपुरा में नेताजी सुभाष पैलेस में है.

ये कंपनी टैबलेट, कैप्सूल, लिक्विड सिरप, लिक्विड इंजेक्शन, इंजेक्शन के लिए पाउडर, क्रीम, जेल वगैरह बनाती है. कंपनी हर महीने 10 करोड़ टैबलेट और 22 लाख लीटर सिरप का उत्पादन करती है.

WHO के अलर्ट के बाद पता चला है कि कंपनी का नियमों और मानकों का उल्लंघन करने का इतिहास रहा है. केंद्र सरकार का कहना है कि कंपनी को इन चार कफ सिरप को गाम्बिया में निर्यात और बिक्री के लिए राज्य के ड्रग रेगुलेटर ने लाइसेंस दिया था. पिछली रिपोर्ट्स से पता चलता है कि कई राज्यों में कंपनी क्वालिटी कंट्रोल स्टैंडर्ट का उल्लंघन करती रही है, लेकिन इसके बावजूद अधिकारी इसे हरी झंडी दिखाते रहे. सेंट पीटर्सबर्ग स्थित पब्लिक हेल्थ एक्टिविस्ट दिनेश ठाकुर ने ट्विटर पर भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) और WHO के कामकाज और प्री-क्वालिफिकेशन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं.

  1. दवाओं के लाइसेंस का क्या है नियम?

दिनेश ठाकुर ने ट्वीट किया कि आमतौर पर CDSCO स्टेट ड्रग कंट्रोलर को पैसा देता है, जो दवाओं की मैनुफैक्चरिंग के लिए लाइसेंस देता है. जबकि, मेडेन फार्मास्यूटिकल को CDSCO ने CoPP यानी सर्टिफिकेट ऑफ फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट प्रक्रिया के जरिए सर्टिफाइड किया था.

CoPP सर्टिफिकेट से विदेशों में खरीदारों को पता चलता है कि भारत के CDSCO ने दवा का निरिक्षण किया है. इसके अलावा इस सर्टिफिकेट से ये भी भरोसा मिलता है कि दवा निर्यात करने वाली फार्मा कंपनी WHO के स्टैंडर्ड का पालन करती है. ठाकुर दावा करते हैं कि फार्मा कंपनी को विदेश के खरीदारों को ये सर्टिफिकेट देना होता है. कंपनी का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है, तो क्या इससे सवाल नहीं उठता कि किस आधार पर मेडेन फार्मास्यूटिकल को ये सर्टिफिकेट दिया गया.

  1. मेडेन फार्मास्यूटिकल पर कब-कब उठे सवाल?

2011 में बिहार सरकार ने घटिया क्वालिटी की दवाओं की आपूर्ति करने पर मेडेन फार्मास्यूटिकल को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. सरकार ने कंपनी की Methylergometrine टैबलेट नकली पाई थी. इसके अलावा Erythromycin सिरप भी गुणवत्ता पर खरी नहीं उतरी थी.

केरल में 2017 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कंपनी पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. कंपनी पर 2005 में ड्रग इंस्पेक्टर ने केस दर्ज कराया था. जम्मू-कश्मीर ने भी कंपनी के प्रोडक्ट्स की क्वालिटी पर सवाल उठाए थे.

एक्सटेंडेट लाइसेंसिंग, लैबोरेटरी एंड लीगल नोड (XLN) के डेटाबेस के अनुसार, केरल और गुजरात सरकार ने बार-बार कंपनी की गैरकानूनी गतिविधियों को लेकर चेतावनी दी है. इस डेटाबेस को केंद्र सरकार मेंटेन करती है.

  1. कंपनी का क्या है कहना?

WHO की ओर से चार कफ सिरप को लेकर जारी किए गए अलर्ट को लेकर कंपनी के प्रमोटर नरेश गोयल को कई मैसेज और कॉल किए गए, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. कंपनी की वेबसाइट पर लिखा है कि ये WHO-GMP (गुड मैनुफैक्चरिंग प्रैक्टिस) सर्टिफाइड कंपनी है, जो कई देशों में अपने प्रोडक्ट्स बेचती है.

वेबसाइट पर दावा किया गया है कि WHO-GMP सर्टिफिकेट अंतरराष्ट्रीय बाजार में विश्वनीयता रखता है और कंपनी को दवा निर्यात करने के लिए दूसरे देशों के साथ समझौते करने की अनुमति देता है.

  1. किन-किन देशों में दवा बेचती है कंपनी?

मेडेन फार्मास्यूटिकल की वेबसाइट के मुताबिक, भारत में प्रोडक्ट्स की बिक्री करने के साथ-साथ ये कंपनी एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों में निर्यात भी करती है.

कंपनी अपने प्रोडक्ट्स डोमिनिकल रिपब्लिक, इरान, ईराक, अफगानिस्तान, सूडान, नाइजीरिया, बोत्सवाना, सिएरा लियोनियन, लीबिया, लाइबेरिया, बुर्किना फासो, कंबोडिया, म्यांमार, भूटान, तुर्की, यूएई, फिलीपींस, चिली, कोस्टा रिका, वेनेजुएला और आइवरी कोस्ट में निर्यात करती है.

  1. गाम्बिया मामले में कंपनी पर क्या हुआ?

गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के बाद WHO ने कंपनी की चार कफ सिरप को जानलेवा बताया है. वहीं, भारत में भी कंपनी के खिलाफ जांच शुरू हो गई है. गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हरियाणा के सोनीपत में स्थित कंपनी के मैनुफैक्चरिंग प्लांट का दौरा किया. कंपनी पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.

  1. इससे भारत की छवि को कितना नुकसान?

इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ बायोएथिक्स के पूर्व अध्यक्ष अनंत भान ने कहा कि इससे पता चलता है कि दवा अधिकारियों की ओर से गंभीर चूक हुई है और इस मामले में पारदर्शी जांच की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि ये पता लगाना जरूरी है कि दवाओं के उत्पादन और गाम्बिया में निर्यात करने में कहां खामियां रह गईं. जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक दुनिया में भारतीय दवा उत्पादों को शक की नजर से देखा जाएगा.

साभार – आजतक 

nirbhiknazar
Author: nirbhiknazar

Live Cricket Score
Astro

Our Visitor

0 7 0 1 8 2
Users Today : 19
Users Last 30 days : 655
Total Users : 70182

Live News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *