नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर अपनी Diwali सीमा पर सैनिकों के साथ मना रहे हैं। कारगिल में सैनिकों (Army Jawans) के बीच पहुंचे मोदी (Narendra Modi) ने जवानों से मुलाकात की और इसके बाद उन्हें संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ‘कई वर्षों से आप सब मेरा परिवार हो। मेरी दिवाली की मिठास और चमक आप लोगों बीच है। मुझे बार बार वीर बेटे बेटियों के बीच खींच लता है – मेरा परिवार आप ही सब है। दिवाली का प्रकाश आपके बीच हैपाकिस्तान के साथ ऐसा कोई युद्ध नहीं हुआ है जहां करगिल ने जीत का झंडा नहीं फहराया है। पाकिस्तान के साथ ऐसा कोई युद्ध नहीं हुआ है जहां करगिल ने विजय पताका नहीं फहराया है’
पीएम मोदी ने कहा, ‘जब भारत की ताकत बढ़ती है, तो वैश्विक शांति और समृद्धि की संभावना भी बढ़ती है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ बहुत महत्वपूर्ण है; विदेशी हथियारों और प्रणाली पर हमारी निर्भरता न्यूनतम होनी चाहिए। सशस्त्र बलों में दशकों से सुधार की जरूरत थी, जिन्हें अब लागू किया जा रहा है। सशस्त्र बलों में महिलाओं को शामिल करने से हमारी ताकत बढ़ेगी।’
भारत ने हमेशा युद्ध को अंतिम विकल्प माना
प्रधानमंत्री ने कहा, भारत कामना करता है कि प्रकाश का यह त्योहार दुनिया के लिए शांति का मार्ग प्रशस्त करे। एक राष्ट्र तब सुरक्षित होता है जब सीमाएं सुरक्षित हों, अर्थव्यवस्था मजबूत हो और समाज विश्वास से भरा हो….हम कभी युद्ध को पहला नहीं बल्कि अंतिम विकल्प मानते हैं; हम शांति में विश्वास करते हैं, लेकिन शांति सामर्थ्य के बिना संभव नहीं है। हमने हमेशा युद्ध को अंतिम विकल्प माना है लेकिन कोई नजर उठाएगा तो सेना उसी भाषा में जवाब देगी।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे वीर साथ जाबाज़ नौजवान – इससे बेहतर दिवाली मुझे और कहाँ नसीब हो सकती है। आपकी आतिशबाजी अलग होती है आपके धमाके भी अलग होते हैं- शौर्य की अप्रतिम गाथा भारत अपने त्योहारों को प्रेम के साथ मनाता है – पूरी दुनिया को उसमे शामिल करके मनाता है। कारगिल के विजय भूमि से सभी देश वासियों को और पूरे कीश्वा को दिवाली की बधाई देता हूँ। कारगिल में सेना ने आतंक की पहन को कुचला था और देश में ऐसे दिवाली मणि थी की लोग आज भी याद करते है।’
कारगिल युद्ध का किया जिक्र
कारगिल युद्ध का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘जब हमारे जवान कारगिल युद्ध में दुश्मन को मुहतोड़ जवाब दे रहे थे तब मुझे उनके साथ मिलने का स्वभाव मिला था। मेरा कर्तव्य पथ मुझे राण भूमि में ले आया – हम तो बस पुण्य कमा रहे थे देव भक्ति तो करते है लेकिन वो पल देश भक्ति का था। आपका पूजन करने का था। चरों दिशाओं में विजय का जय घोष है हर मन का आवाहन था मन समर्पित, तन समर्पित चाह्ता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ। जब हम भारत कहते हैं तो सामने वीरता की विरासत उठ खड़ी हो उठती है। अतीत में असीम लपटे उठीं – लेकिन भारत की अस्तित्व की ये सांस्कृतिक धरा आज भी अविरल है। द्रास बटालिक ये टाइगर हिल गवाह है की दुश्मन भी भारतीय सेना के शौर्य के आगे बौना पड़ जाता है।’