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सीएम धामी ने किया अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 का शुभारम्भ, बोले – योग से उत्तराखंड के लोगों को देश विदेश मे मिली नई पहचान

देहरादून: बुधवार को मुनि की रेती स्थित जीएमवीएन गंगा रिजॉर्ट में उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, वन मंत्री सुबोध उनियाल, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्वभर में योग का संदेश दे रहा है। योग न पुरातन है, न नूतन है। योग सनातन है जो पहले भी था, अब भी है और हमेशा रहेगा। पूरी दुनिया भारत की सनातन विधियां और परपंराओं को अपना रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जी-20 सम्मेलन की दो बैठकें योगनगरी में होंगी। विभिन्न देशों में योगनगरी की छवि विकसित होगी। चारधाम की तैयारियों के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक चारधाम में एक लाख 51 हजार तीर्थ यात्री अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। तीर्थ यात्रियों को कोई परेशानी न हो इसके लिए प्रदेश सरकार व्यवस्थाओं को चाकचौबंद करने में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री ने आस्था पथ पर चंद्रभागा नदी के ऊपर जल्द ही पुल निर्माण की घोषणा की। इस मौके पर मेयर अनीता ममगाईं, नगरपालिका मुनि की रेती अध्यक्ष रोशन रतूड़ी, पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे आदि मौजूद थे।

हेल्थ टूरिज्म पर विशेष ध्यान दे रही सरकार : सतपाल

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि सरकार हेल्थ टूरिज्म पर विशेष ध्यान दे रही है। पहाड़ी व्यंजन जैसे मंडुवा, झंगोरा को भाजपा सरकार ने विश्व स्तर पर पहुंचाया है। प्रदेश के सभी होटल और संस्थानों में पहाड़ी व्यंजन परोसे जा रहे हैं। सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए भी व्यवस्था की है। जिससे यात्रियों को सुविधाएं उपलब्ध हो सके। माउंटेन टूरिज्म में प्रदेश ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। पहाड़ों की प्राकृतिक वादियों में कैंप व्यवस्था से स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। मठ मंदिरों को सर्किट बनाकर विकसित किया जा रहा है।

सिर्फ ऋषिकेश को योगनगरी कहना उचित नहीं: उनियाल

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि ऋषिकेश के अलावा मुनि की रेती, स्वर्गाश्रम योग की आध्यात्मिक नगरी है। इसलिए सिर्फ ऋषिकेश को योग की नगरी कहा जाना सही नहीं है। योग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा करोड़ों लोगों के रोजगार का साधन भी बना है। चौरासी कुटिया के हेरिटेज समूह को विकसित कर विश्व पटल पर स्थान दिलाया जाएगा।


मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने योग के क्षेत्र में सक्रिय योगाचार्यों को सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने करीब 108 वर्षीय योगाचार्य पद्मश्री स्वामी शिवानदं, पद्मश्री रंजनीकांत आदि को सम्मानित किया।

महोत्सव में लाइट शो रहा आकर्षण का केंद्र

01 से 07 मार्च तक गंगा रिजॉर्ट में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के पहले दिन सांध्यकालीन गंगा आरती के दौरान लाइट शो आकर्षण का केंद्र रहा। ड्रोन के माध्यम से साधक और योगाचार्यों को भगवान शिव, ऊं, योग की विभिन्न क्रियाएं, गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ समेत विभिन्न कलाकृतियों ने साधक और योगाचार्यों को अपनी ओर आकर्षित किया। ड्रोन के माध्यम से गंगा नदी के ऊपर एक के बाद कलाकृतियों को साधक, योगाचार्य और स्थानीय लोगों ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया। ड्रोन कैमरे से पहली बार महोत्सव में लाइट शो हुआ।

पहले दिन दिखी अव्यवस्थाएं

मुनि की रेती स्थित जीएमवीएन गंगा रिजॉर्ट में पहली बार उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन किया। बीते 29 वर्षों से गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आगाज होता था। महोत्सव के पहले दिन गंगा रिजॉर्ट में योग साधकों के लिए अव्यवस्थाएं दिखी। यहां साधकों के लिए खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। जबकि इससे पहले साधक और योगाचार्यों के लिए जीएमवीएन गंगा रिजॉर्ट, हेमकुंड गुरुद्वारा साहिब, स्वामीनारायण आश्रम आदि जगहों पर रहने और खाने की व्यवस्था जुटाई जाती थी। इस बार उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ओर आयोजित महोत्सव में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं दिखी।

दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले साधकों को स्वयं के खर्चों पर रहना और खाने पीने की व्यवस्था करनी पड़ रही है। जिसके चलते कई साधकों ने इस महोत्सव से दूरी बनाई है। योग साधक प्रमोद और भावना शर्मा ने बताया कि इस बार महोत्सव में विभाग की व्यवस्थाएं ठीक नहीं है। खाने की व्यवस्था न होने से कोई भी साधक दोबारा योग की कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रहा है। कहा कि वर्ष 2021 में गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में शामिल होने के लिए छात्र-छात्राओं के लिए एक हजार रुपये और अन्य साधकों के लिए सात हजार रुपये साप्ताहिक शुल्क लिया जाता था, लेकिन उसमें साधकों के लिए खाने और रहने की व्यवस्था शामिल होती थी।

स्टॉलों का भी नहीं कोई पता

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आगाज हो गया है। लेकिन जीएमवीएन गंगा रिजॉर्ट में दोपहर दो बजे तक स्टॉलों की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी। गिने चुने स्टॉल में लोग स्थानीय उत्पाद बेचते हुए नजर आए।

शुल्क नहीं तो व्यवस्था नहीं

01 से 7 मार्च तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 2023 में इस बार साधकों से कोई योग शुल्क नहीं लिया जा रहा है। इसलिए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से साधकों को सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं। पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बीते मंगलवार शाम तक 600 साधकों ने अपना ऑनलाइन पंजीकरण करा दिया था।

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Author: nirbhiknazar

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