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उत्तराखंड में बढ़ीं बिजली की दरें, विपक्ष ने टाइमिंग पर उठाये सवाल, कहा – जनता है बेहाल…

देहरादून: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की वोटिंग के बाद थमती दिख रही सियासत में एक बार फिर भूचाल आया है. इस बार प्रदेश में बिजली के दामों में हुई बढ़ोतरी राजनीतिक दलों के लिए मुद्दा बन गई है. खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव की वोटिंग के हफ्ता बीतने से पहले ही उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की नई बढ़ी हुई दरें जारी कर दी हैं. बिजली की बढ़ी हुई दरें एक अप्रैल के प्रभावी होगी. इस मामले पर विपक्ष हमलावर मोड में है.

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में बिजली के दाम बढ़ाने का निर्णय लिया, तो उत्तराखंड की सियासत एक बार फिर गर्म होती हुई दिखाई दी है. स्थिति यह है कि अब एक बार फिर विपक्षी दल ने सरकार पर जनता को महंगाई में धकेलने का आरोप लगा दिया है. दरअसल उत्तराखंड में घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठानों और उद्योगों तक के लिए भी बिजली के दाम बढ़ा दिए गए हैं. इतना ही नहीं इस बार इन सभी उपभोक्ताओं पर फिक्स चार्ज को भी बढ़ाया गया है. यानी उपभोक्ताओं पर दाम बढ़ाने को लेकर दोहरी मार पड़ी है.

19 अप्रैल को हुए मतदान के बाद आज यानी 26 अप्रैल को बिजली के दाम बढ़ाने की घोषणा की गई है. इससे भी ज्यादा बड़ी बात यह है की प्रदेश में बिजली की बढ़ी हुई यह दरें इसी महीने 1 अप्रैल से लागू होंगी. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि यदि बिजली के दाम में बढ़ोतरी 1 अप्रैल से लागू की गई है तो फिर 1 अप्रैल से पहले ही इसकी घोषणा क्यों नहीं की गई? विपक्ष इसी सवाल को लेकर सरकार को घेरने में जुट गया है. विपक्ष का कहना है प्रदेश में 19 अप्रैल से पहले अगर ये घोषणा होती तो राजनीतिक रूप से विपक्ष को इसका फायदा मिलता. जिसके कारण सरकार ने ये फैसला लिया .

वैसे तो बिजली के बढ़े हुए दाम घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों तक के लिए बढ़ाए गए हैं, लेकिन बीपीएल परिवारों को इसमें राहत दी गई है. उपभोक्ताओं के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि फिक्स चार्ज में बढ़ोतरी के साथ प्रति यूनिट बिजली के दाम भी बढ़ाये गये हैं. कांग्रेस के आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का अपना तर्क है. भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ देवेंद्र भसीन ने कहा उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने जो बढ़ोतरी की है वह सामान्य है. बिजली कटौती ना हो इसके लिए यूपीसीएल को बिजली भी खरीदनी पड़ती है. लिहाजा राज्य में सभी पहलुओं को देखते हुए इस तरह के फैसले लेता है.

कितने बढ़े दाम ?

उत्तराखंड में घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर व्यापारिक और इंडस्ट्री उपभोगताओं तक के लिए बिजली के दाम बढ़ाने का फैसला ले लिया गया है. देखा जाए तो प्रदेश वासियों के लिए लोकसभा चुनाव के मतदान के बाद यह एक बड़ा झटका है. खास बात यह है कि 19 अप्रैल को ही उत्तराखंड में मतदान हुआ है. अब इसी महीने से प्रदेश में बिजली के लिए वार्षिक तारीख में बढ़ोतरी की गई है. मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024 25 के लिए उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड और पिटकुल के साथ ही UJVNL ने भी दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था, जिस पर विचार करने के बाद वार्षिक टैरिफ में 6.92% बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया है.

वित्तीय वर्ष 2024 -25 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता 10690.03 करोड़ निर्धारित की गई है, जिसमें 14708.02 मिलियन यूनिट की अनुमानित विक्रय पर कुल राजस्व 9997.69 करोड़ रुपए अनुमानित राजस्व आकलन किया गया. इसमें 692.34 करोड़ रुपए का राजस्व अंतर के लिए 6.92% की वार्षिक तारीख में वृद्धि का फैसला लिया गया.

उत्तराखंड में यूपीसीएल, पिटकुल और यूजेवीएनएल द्वारा कुल 38.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया था. इसमें सबसे ज्यादा बढ़ोतरी का प्रस्ताव यूपीसीएल द्वारा 27.06% का दिया गया था. आयोग ने सभी पहलुओं पर विचार के बाद बिजली के दामों में 6.92% की वृद्धि करने का निर्णय लिया.

बीपीएल उपभोक्ताओं को राहत देते हुए आयोग ने उनके लिए किसी भी तरह की वृद्धि नहीं करने का निर्णय लिया है. इस तरह बीपीएल परिवारों को फिक्स चार्ज और बिजली के दामों में किसी भी तरीके के बढ़ोतरी का सामना नहीं करना होगा.

घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली के दामों में बढ़ोतरी का सामना करना होगा. आयोग के निर्णय के बाद अब फिक्स चार्ज में ₹15 प्रति किलो वाट की बढ़ोतरी की गई है. इसके अलावा 100 यूनिट प्रति माह तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 25 पैसे की वृद्धि की गई है. 101 वॉट से 200 वॉट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं की लिए 30 पैसे की बढ़ोतरी की गई है. 201 से 400 यूनिट प्रति माह खर्च करने वाले उपभोक्ताओं के लिए 40 पैसे की वृद्धि की गई है. इस तरह प्रदेश के करीब 22 लाख उपभोक्ताओं को बिजली के बढ़े हुए दाम से तगड़ा झटका लगने जा रहा है.

व्यावसायिक कनेक्शन वाले उपभोक्ता जिसमें सरकारी एजुकेशनल संस्थान और दूसरे सरकारी विभागों के लिए भी बढ़ोतरी की गई है. 25 किलोवाट तक के लिए 10 रुपए प्रति किलो वाट का फिक्स चार्ज बढ़ाया गया है. साथ ही बिजली के दाम में 30 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी हुई है. 25 किलोवाट से ऊपर वाले उपभोक्ताओं को फिक्स चार्ज में ₹10 प्रति किलो वाट बढ़ोतरी और बिजली के दाम में 35 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई है.

छोटे उद्योगों के लिए 25 किलोवाट तक ₹10 फिक्स चार्ज की बढ़ोतरी और बिजली के दामों में करीब 25 पैसे की बढ़ोतरी की गई है. 25 किलोवाट से अधिक वाले छोटे उद्योग के उपभोक्ताओं के लिए भी फिक्स चार्ज ₹20 बढ़ाया गया है. बिजली के दामों में 50 पैसे की बढ़ोतरी हुई है. बड़े उद्योगों के लिए भी फिक्स चार्ज में ₹20 प्रति केवीए की बढ़ोतरी की गई है. बिजली के दामों में भी ऑस्टिन 64 पैसे की बढ़ोतरी की गई है.

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Author: nirbhiknazar

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