देहरादून: परिवहन निगम की पर्वतीय रूट की 77 बसों का संचालन कागजी औपचारिकताओं में उलझ गया है। करीब 15 दिन पूर्व निगम सौंपी गईं 130 रोडवजे बसों में अभी तक सिर्फ 53 बसों का ही संचालन शुरू हो पाया है। शेष बसों के संचालन के लिए निगम के अधिकारी कागजी औपचारिकताएं पूरी करने में जुटे हैं। निगम के अधिकारियों के मुताबिक सभी बसों का संचालन शुरू होने में करीब एक सप्ताह का समय और लगेगा।
प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के करीब 8 डिपो के लिए निगम की ओर से 130 बसों का आवंटन तो कर दिया गया, लेकिन कागजी औपचारिकताएं पूरी न हो पाने की वजह से अभी तक उन डिपो को बसें नहीं मिल पाई हैं। गौरतलब है कि 27 अक्तूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आईएसबीटी में पर्वतीय मार्गाें पर चलने वाली इन 130 बसों को हरी झंडी दिखाई थी। निगम के अधिकारी बताते हैं कि निगम की ओर से अलग-अलग पर्वतीय क्षेत्रों के डिपो को 53 बसें सौंप दी गई हैं। इनका संचालन भी शुरू हो चुका है।
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शेष बसों में 50 बसें ऐसी हैं, जिनका परमिट जारी होने के साथ ही उसमें जीपीएस लगाया जाना है। जबकि, अन्य 27 बसों का बेड़ा अभी तक गोवा से देहरादून नहीं पहुंच पाया है। अधिकारियों के मुताबिक बसों के संचालन में देरी के पीछे की मुख्य वजह त्योहारी सीजन में लगातार कई दिनों तक अवकाश होना है। त्योहार के दौरान आरटीओ कार्यालय बंद रहने की वजह से बसों के परमिट जारी होने में काफी समय लग रहा है। संवाद
पर्वतीय मार्गाें की बसों में उत्कृष्ट श्रेणी के चालकों की तैनाती के सख्त निर्देश
पर्वतीय मार्गाें की बसों में उत्कृष्ट श्रेणी के चालकों की तैनाती को लेकर निगम मुख्यालय की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं। बावजूद इसके कुछ डिपो तय मानकों का अनुपालन किए बिना ही बसों में चालकों की ड्यूटी लगा रहे हैं। पूर्व में देहरादून के पर्वतीय डिपो से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था। ऐसे में यह दुर्घटना की भी वजह बन सकता है।
पर्वतीय मार्गाें पर संचालन के लिए निगम को पूर्व में मिली 130 बसों में से 53 बसों का संचालन शुरू हो गया है। जबकि, अन्य बसें कागजी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद शुरू की जाएंगी। निगम इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
– पवन मेहरा, जीएम संचालन, उत्तराखंड परिवहन निगम