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कोरोना का असर : स्कूल हुआ बंद तो जेब खर्चे से बच्चों ने खोल दी दुकान,छोटी उम्र में कमाने की दिख रही ललक

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भभुआ/कैमूर(बंटी जायसवाल)। जब दिल मेंं जज्बा हो तो किसी भी काम को करने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती है।  बस उसके लिए ऊंची सोच रखनी पड़ती है। उसके लिए  काम करना पड़ता है। कुछ ऐसा ही बच्चों के दिमाग में  खेल खेल में ख्याल आया और अपनी जेब के खर्चे को काटकर दो पैसे कमाने की चाहत में दुकान को  खोल दिया। जिन छोटेेेे-छोटे बच्चों को पढ़ने लिखने एवं खेलने की उम्र है। वह लॉकडाउन में स्कूलोंं के बंद हो जाने के बाद जेब खर्चे को काटकर अपनी दुकान खोल चला रहे है।उस छोटे से दुकान से दो पैसे आमदनी भी कमा रहे हैं। यह सब करना  काफी अच्छा लग रहा है।

 दरअसल यह वाक्या रामपुर प्रखंड के सबार गांव में  देखने को मिल रहा है। जहां छोटे-छोटेे बच्चे अपने माता पिता से मिले रुपए को खेलने खाने की बजाए उस पैसे से अपनी छोटी सी 50 से 100 रुपये में दुकान  खोल दी है। बच्चे अपनी खेल खेल के इस दुकान से दो पैसे की आमदनी भी करते हैं। इन्हें देखने से ऐसा लगता है जैसे इस छोटी सी उम्र में ही इन्हें पढ़ाई लिखाई के  अलावा दो पैसे कमाने की भी चाहत है। जिसे इस छोटी सी उम्र में ही यह सब करने भी लगे हैं।

यह सब तब हुआ है जब होली के बाद से कोरोना वैश्विक महामारी के बढ़ते संक्रमण से बचाव को लेकर सरकार द्वारा जारी किए गए लॉकडाउन के बाद से सरकारी स्कूलों, कोचिंग,ट्यूशन सभी बंद कर दिए गए है। जिसके कारण छोटे-छोटे बच्चेे का पठन-पाठन बंद है। सबार गांव में जिन छोटे-छोटे बच्चों ने दुकान खोले हैं वह बच्चे 12 वर्षीय आकाश कुमार 6 वर्षीय बाल्मीकि कुमार ने बताया कि मम्मी पापा से जो पैसे खाने के लिए मिलते हैं।उस रुपये पैसे को बचाकर इकट्ठा किया।

जिस पैसे से बिस्किट, टॉफी  खाकर खत्म कर देते थे। सोचा क्यों न बिस्किट ,टॉफी,कुरकुरे आदि समान थोड़ा थोड़ा लाकर बेचा जाए।जिसके लिए हमने गांव के ही दुकानों से बिस्किट,  कुरकुरे, टॉफी,चूरन, लॉलीपॉप आदि बच्चों के ही खाने पीने वाले सामान को खरीद कर 50 से ₹100 में 3 साथियोंं ने खरीद लाया। पहली बार जितने रुपये के जो सामान खरीदे थे। उतना रुपये में ही बेचने लगे तो पैसे भी भी आने लगा। लेकिन फायदा नहीं हो रहा था।

जिसके बाद एक बड़े भैया ने बताया कि दो रुपये का बिस्किट खरीद कर लाते हो और दो रुपये ही बेचोगे तो फायदा नहीं होगा। इसलिए दो रुपये का टॉफी या बिस्किट या कोई भी समान उससे एक रुपये ज्यादा लेकर बेचोगे तो फायदा भी होगा। ठीक वैसा ही किया हमने किया 100 रुपये का सामान लेकर आते है और बेचते है तो 150 रुपये का फायदा हो जाता है। बच्चे या लोग भी हमारे सामान को भी लेने लगे।

बच्चे में अब बचत करना व कमाने का दिख रहा है ललक – एक बच्चे की मां भुटनी देवी ने बताया कि लॉक डाउन के कारण बच्चों का स्कूल बंद होने के कारण पढ़ाई लिखाई बंद है। जिसके कारण बच्चे घूम व खेल रहे थे। तभी उन्हें कैसे ख्याल आया है। दिए जाने वाले पैसे को बचत कर इकट्ठा कर 50-100 रुपये में ही छोटा सा दुकान खोल दिया है। जिसे चलाते हुए देखकर काफी अच्छा लगता है। कैसे इतनी छोटी सी उम्र में अपने पैसे को कैसे उपयोग कर रहे है। उससे दो पैसे कमा रहे है। इनकी सोच काफी बड़ी है। जो आगे तक इनकी सोच के साथ पढ़ाई लिखाई करेंगे तो आगे भी जायेंगे। हालांकि अभी स्कूल बंद है तो यह सब कर रहे है। लेकिन जब स्कूल खुल जाएगा तो स्कूल जरूर जायेंगे। पहले पढ़ाई लिखाई जरूरी है। अभी घर पर ही रह कर पढ़ते है।

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Author: nirbhiknazar

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