देहरादून: उत्तराखंड में गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस यानी 24 नवंबर को घोषित सार्वजनिक अवकाश में संशोधन किया गया है. अब यह अवकाश अगले दिन यानी 25 नवंबर को होगा. ऐसे में अब 24 नवंबर की जगह 25 नवंबर को प्रदेशभर में अवकाश रहेगा.
25 नवंबर को रहेगा सार्वजनिक अवकाश: दरअसल, गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस पर 24 नवंबर (सोमवार) को उत्तराखंड में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था, लेकिन इसमें अब आंशिक संशोधन किया गया. जिसके तहत अब 25 नवंबर (मंगलवार) को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है. जिसको लेकर सचिव विनोद कुमार सुमन की तरफ से आदेश जारी किया गया है.
इन संस्थानों में अवकाश: ऐसे में 25 नवंबर को प्रदेश के शासकीय/अशासकीय कार्यालयों/शैक्षणिक शासकीय/अशासकीय कार्यालयों/शैक्षणिक प्रतिष्ठानों (उत्तराखंड सचिवालय/विधानसभा और जिन कार्यालयों में 5 दिवसीय साप्ताहिक कार्यदिवस लागू है, को छोड़कर) में सार्वजनिक अवकाश रहेगा.
क्यों मनाया जाता है गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस? बता दें कि हर साल 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस मनाया जाता है. इन दिन सिख धर्म के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर ने शहादत दी थी. उनकी याद में यह दिवस मनाया जाता है. उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए औरंगजेब का डटकर मुकाबला किया था.
कश्मीरी पंडितों समेत अन्य धर्मों के धर्म परिवर्तन की रक्षा के लिए औरंगजेब का मुकाबला किया. जिसमें औरंगजेब ने इस्लाम कबूल कराने का फरमान सुनाया था, लेकिन गुरु तेग बहादुर इसके खिलाफ हो गए. बताया जा रहा है कि उस दौरान कश्मीरी पंडित उनसे मदद मांगने पहुंचे थे. तभी गुरु तेग बहादुर ने उनकी रक्षा का वचन दिया था.
इसकी जानकारी जब औरंगजेब को मिली तो उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी को गिरफ्तार कर लिया. उन्हें कई महीनों तक कैद कर रखा. इतना ही नहीं उनके साथियों को भी मारा डारा. फिर भी वो अपने धर्म को अड़े रहे और अपना धर्म नहीं छोड़ा. आखिर में अंत में गुरु तेग बहादुर ने धर्म और रक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया.
वे एकमात्र ऐसे गुरु थे, जिन्होंने अपने अलावा दूसरे धर्म के लोगों की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी थी. इसके बाद में उनके बेटे गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की. इस दिन कई जगह रक्तदान शिविर आयोजित किया जाता है. लंगर के साथ सेवा के काम किए जाते हैं.