निर्भीक ब्यूरो : म्याँमार में सैन्य शासन ख़त्म करने और लोकतंत्र की बहाली की माँग कर रहे लोगों पर शनिवार को गोलीबारी में 100 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। इनमें बच्चे भी शामिल है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों ने इसकी ज़ोरदार शब्दों में निंदा की है। लेकिन म्याँमार के सत्ताधारी सैन्य गुट ने कहा है कि वह लोकतंत्र की बहाली के लिए काम करेगा।
बता दें कि फरवरी की शुरुआत में ही म्याँमार की सेना ने तख़्तापलट कर सत्ता अपने हाथ में ले लिया, संसद भंग कर दी गई और स्टेट कौंसलर आंग सान सू ची समेत कई बड़े नेताओं को जेल मे डाल दिया गया। जनता इसके ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर आई है, सेना उनका सख़्ती से दमन कर रही है और इसमें अब तक 400 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
पूरे विश्व मे निंदा
पूरे विश्व में इसकी ज़ोरदार निंदा हो रही है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार को म्याँमार में विरोध प्रदर्शनों के दौरान बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की कड़ी निन्दा की है। उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मौजूदा हालात में एक ठोस, एकजुट और दृढ़ अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने ट्वीट कर कहा है,
“बर्मा के सुरक्षा बलों के किए गए ख़ून-ख़राबे से हमलोग स्तब्ध हैं। ऐसा लगता है कि मिलिट्री जुन्टा कुछ लोगों की सेवा करने के लिए आम लोगों की ज़िंदगी क़ुर्बान कर देगी। मैं पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं भेजता हूँ। बर्मा की बहादुर जनता ने सेना के आतंक के युग को नकार दिया है।”
अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि सुरक्षा बल ‘निहत्थे आम नागरिकों की हत्या’ कर रहे हैं। म्याँमार में ब्रिटिश राजदूत डेन चग ने एक बयान में कहा है कि सुरक्षाबलों ने निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाकर अपनी प्रतिष्ठा खो दी है। बता दें कि म्याँमार को पहले बर्मा के नाम से जाना जाता था। इसे 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिली। अपने आधुनिक इतिहास का एक बड़ा दौर इसने सैनिक शासन में गुजारा है।