देहरादून: राज्य प्रशासनिक सेवा के पहले बैच 2002 के 18 अधिकारियों के आइएएस बनने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने में डीपीसी कर इन अधिकारियों को पदोन्नति देने के आदेश जारी किए। उधर, आइएस के रिक्त 14 पदों पर वरिष्ठता के आधार पर इन अधिकारियों को पदोन्नति मिलेगी। शेष चार अधिकारी आइएएस के पद रिक्त होने पर पदोन्नत किए जाएंगे।
प्रदेश के पीसीएस अधिकारियों को पहले पदोन्नत ग्रेड वेतन और फिर आइएएस के रूप में पदोन्नति के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है। उन्हें पदोन्नत ग्रेड वेतन मिल चुका है। ये अधिकारी आइएएस पदों पर पदोन्नति के लिए भी संघर्षरत थे। पीसीएस अधिकारी विनोद गिरी गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में मानहानि याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जस्टिस एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने मंगलवार को मामला निस्तारित कर दिया। उन्होंने पदोन्नति में देरी करने वालों पर सख्त टिप्पणी भी की।
खंडपीठ ने एक महीने में डीपीसी कराने और पदोन्नति देने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 2002 बैच के पीसीएस अधिकारी ललित मोहन रयाल, आनंद श्रीवास्तव, हरीश कांडपाल, गिरधारी रावत, मेहरबान सिंह बिष्ट, आलोक पांडे, बंशीधर तिवारी, रुचि रयाल, झरना कमठान, दीप्ति सिंह, रवनीत चीमा, प्रकाश चंद, निधि यादव, प्रशांत, आशीष भटगई, विनोद गिरी गोस्वामी, संजय और नवनीत पांडे आइएएस बनने के पात्र हो गए हैं।
आइएएस कैडर कोटे के अनुसार वरिष्ठता के आधार पर 14 पीसीएस अधिकारी आइएएस बनेंगे। इन्हें आइएएस 2015 बैच आवंटित किया जाएगा। शेष चार को पद रिक्त होने के बाद यह लाभ मिल सकेगा। कार्मिक सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए संबंधित अधिकारियों को आइएएस पदों पर पदोन्नति दी जाएगी। इस संबंध में कार्यवाही की जा रही है।