देहरादून: हर विधानसभा चुनाव में सत्ता में बदलाव का मिथक टूटेगा या इस बार भी मतदाता इस परंपरा को आगे बढ़ाएगा, अब बस चंद घंटे बाद ईवीएम खुलते ही तस्वीर साफ होने लगेगी। उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों के लिए गुरुवार को मतगणना होगी। दोपहर तक काफी कुछ परिदृश्य स्पष्ट हो जाएगा कि मैदान में उतरे 632 प्रत्याशियों में से किन 70 की किस्मत चमकने जा रही है। उत्तराखंड मे करीब 40 से 45 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं, जबकि 25 से 30 सीटों पर बसपा, सपा, आम आदमी पार्टी और निर्दलीय मुकाबले का तीसरा कोण बन सकते हैं।
भाजपा और कांग्रेस ने मतगणना की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। इस बार भाजपा और कांग्रेस के साथ ही राज्य में पहली बार चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों पर दावेदारी ठोकी है। उत्तराखंड मे जो राजनीतिक परिदृश्य बना है उससे लगता है कि इस बार ऐसी सीटें पहले की अपेक्षा अधिक हो सकती हैं, जहां नजदीकी मुकाबला देखने को मिलेगा। वर्ष 2017 के चुनाव में एक-तिहाई से अधिक, 26 सीटों पर इसी तरह का कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। तब 15 सीटों पर पांच हजार से कम, छह सीटों पर दो हजार से कम व पांच सीटों पर हार-जीत का फैसला एक हजार से भी कम मतों के अंतर से हुआ था। इस स्थिति में इस बार हार-जीत का कम अंतर परिणाम में उलटफेर भी कर सकता है।
भाजपा और कांग्रेस के बागी भी परिणाम पर असर डाल सकते हैं। इस चुनाव में भाजपा से 13 और कांग्रेस के छह बागी मैदान में हैं। दिलचस्प बात यह कि दोनों ही दल अब कड़े मुकाबले में फंसने के बाद अपने उन बागियों से संपर्क में जुट गए हैं, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं और मुख्य मुकाबले का हिस्सा माने जा रहे हैं। यह कवायद इसलिए, ताकि जीतने की स्थिति में इन्हें अपने पाले में लाया जा सके।
बहुमत का आंकड़ा हासिल न होने पर कांग्रेस निर्दलीय व दूसरे दलों के जीते प्रत्याशियों को साधेगी । सूत्रों के अनुसार हरीश रावत, प्रीतम सिंह व गणेश गोदियाल को चुनाव में मजबूत दिखे निर्दलीयों पर नजर रखने को कहा गया है। दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है की भाजपा शुरू से ही तोड़ जोड़ मे लगी है उन्हे पता है की उनके सर्वे मे भाजपा 20 सीट भी नहीं जीत रही है इसलिए भाजपा ने उत्तराखंड मे जोड़तोड़ शुरू कर दी है और 15 दिन से वो इसी मे लगे हैं। अगर भाजपा की बात करें तो भाजपा सूबे मे मोदी के काम गिनकर सरकार बनाने का दावा कर रही है लेकिन दूसरी तरफ लगतार निर्दलियों और अन्य दलों के मजबूत उम्मीदवारों से संपर्क साधने मे भी जुटी है। यानि भाजपा को भी पूर्ण बहुमत न मिलने का डर है। खबर भाजपा खेमे से ये भी है है की पुष्कर सिंह धामी और निशंक सूबे के दो मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों से भी मिल चुके हैं। अगर उत्तराखंड मे बीजेपी – कांग्रेस को जादुई आंकड़ा यानि बहुमत नहीं मिलता तो फिर निरदलियों को पाले मे लाने का खेल खेला जाएगा और इसमे कौन कामयाब होगा ये देखने वाली बात होगी।